SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्व. चि. कीर्तिकुमार पाणलाल दोशी -: मधुर यादगार संस्मरणो :. संस्कार नो सुंदर वारसो हजु मने याद आवे छे... मारी बा अमने ज्यारे अमे नाना हता (लगभग ५ थी ६ वर्ष ना) त्यारे दहेरासरे दर्शन करवा जाय अथवा उपाश्रये व्याख्यान श्रवण करवा जाय, त्यारे भमने साथे लई जता. बा जेम करे तेम भमे पण करता. _ मारी बा मेमना भायुष्यना छल्ला वर्षामा घणां बिमार हता. छत्ता पण तेमने क्यारेय विभासणा ना पाचक्खाण छोड्या न होता. तेमनी हड़ता भेटली बधी हती के-डाक्टरोने अने ममने पण कही देता के सूर्यास्त पछी मारा मोढामां पाणी पग नाखता नहीं. मावी ताथी ममने पण मावा ना संस्कार मळ्या. संस्कार नो वारसो वंश परंपरामा आपवो मे तो माता-पितानं कर्तव्य होय छे. कहेवाय पण छ के-'संस्कारी संतति एज साची संपति छे.।। . कीर्शिकुमारने ममे बाल्यवयथी सारा संस्कार भाप्या. माख्यान क्या दर्शन-पूजा मां नियमित लई जता. गोवालिया कथी कोटमा म्यानमाला सांभळवा जq होय त्यारे कीर्तिपण ८-०. धागे तैयार थई,जतो. भने ममारी सह जोतो, क्यारेक मोडु थई जतु तो कीर्ति नाराज घेतो. माधी रीते एक नाना दाखला उपर थी समजायके में मारमा पूर्वजनक नो माराधक श्रदालु जीव हशे.
SR No.032202
Book TitleChovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Vidyarthi Kalyan Kendra
Publication Year
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy