SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३८ ) एकादशी दीवसे थया, दीक्षा ने नाण जन्म सला केइ जिनवरा आगम परमाण ॥२॥ ज्ञान विमल गुण वाधता ए सकल कला भंडार भगीयारश आराधतां लहीए भवजल पार ॥३॥ श्री सिद्धचक्र का चैत्यवंदन श्री सिद्धचक्र आराधीये आसो चैतर मास नवदिन नव आंबिल करी कीजे ओली खास ॥१॥ केसर चन्दन घसी धणा कस्तुरी बरास जुगते जिनवर पुजीया मयणा ने श्रीपाल ॥२॥ पूजा अप्ट प्रकारनी देववंदन त्रण काल मंत्र जपो त्रण कालने गुणणु तेर हजार ।।३।। काष्ट टाल्यु उबरं तणु जपतां नवपद ध्यान श्री श्रीयाल नरि थया वाध्यो बमणो वान ॥४॥ सातसो कोढी सुख लह्या याम्या निज आवास पुण्ये मुक्ति वधुवर्या पाम्या लील विलास ॥५॥ __ श्री सीमंधर स्वामी चत्यवंदन श्री सीमंधर वीतराग त्रिभूवन तुमे उपगारी श्री श्रेयांस पिताकुले बहु शोभा तुमारी ॥१॥ धन्य धन्य माता सत्य की जेणे जायो जयकारी वृष्भ लंछन विराजमान वंदे नरनारी ॥२॥ धनुष पांचशे देहडीए सोहीए सोवन वान कोति विजय उवज्झायनो विनय धरे तुम ध्यान
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy