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________________ ___( २४ ) ॐ ही परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा। मृत्यु निवारणाय, श्री मञ्जिनेन्द्राय नैवेद्यं यजामहे स्वाहा। इति नैवेद्य पूजा। फल पूजा कटुककर्म विपाक विनाशनं, सरस पक्व फल व्रज ढोकनं । वहितमोक्ष फलस्य प्रभोः पुरः, कुरुत सिद्धि फलाय महाजनाः . ॐ हीं परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय फलं यजामहे स्वाहा । इयि फल पूजा। ___ अर्ध्य पूजा इति जिनवर वृन्दं भक्तितः पूजयन्ति, सकल गुण निधानं देवचंद्र स्तुवन्ति । प्रतिदिवस मनन्तं तत्व मुद्भासयन्ति, परम सहज रूपं मोक्ष सौख्यं श्रयन्ति । ॐ हीं परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय अयं यजामहे स्वाहा । चारों कोनों में पानी की धार दें। इति अयं पूजा ।
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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