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________________ ( २ ) ॥ गाथा ॥ आयाँ गीति ॥ मचकूद चंपमालई -कमलाई पुष्फपंचण्णाई॥ जगनाह न्हवण समये, देवा कुसुमांजलि दिति ॥५॥ नमोहतसिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः ॥ ॥ कुसुमांजली॥ रयण सिंहासन जिन थापी जे, कुसुमांजलि प्रभु चरणे दीजे । कुपुमांजलि मेलो शान्ति जिणंदा ॥६॥ ॥दुहा ॥ जिण तिहूँ कालय सिद्धनी, पडिमा गुण भंडार। तसु चरणे कुसुमांजलि, भविक दुरित हरनार ॥७॥ नमाहतसिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः ।। ॥ कुसुमांजलि ॥ कृष्णागरु वर धूप घरीजे, सुगंधकर कुसुमांजलि दीजे ।। कुसुमांजलि मेलो नेमि जिणंदा ।।८।। ॥ गाथा॥ जसु परिमल बल दह दिसि, महुकर झकार सदसंगीया । जिण चलणोवरि मुक्का सुरनर कुसुभांजलि सिद्धा ॥६॥ नभोर्हत सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुम्य ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ पास जिणेसर जग जयकारो, जल थल फुल उदक कर धारी। कुसुमांजलि भेलो पार्श्व जिणंदा ॥१०॥
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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