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________________ ११२ ११३ ११४ ११४ ११५ ११५ श्री बीज का स्तवन , ज्ञानपंचमी का स्तवन , नवपदजी का स्तवन श्री सामान्य जिन स्तवन ११) माज मारा प्रभुजी (२) प्यारो लागे मने सारो लागे (३) झनन झनन भनकारो रे (४) टम टम टम टम टीलडी ना टमकारे ५) जनारू जाय छ जीवन (६) तुं प्रभु मेण में प्रभु तेरा (७) क्युं कर भक्ति करू प्रभु तेरी (८) होइ आनन्द बहार रे (e) नावरिया मेरा (१०) है जगत में नाम येरो (११) अजब जोत मेरे प्रभु की (१२) जिनवर नावरिया (१३) प्रभुजो पटा लिखा दो मेरा (१४) प्रभु भजले मेरा दिल राजो रे (१५) बसो जो मेरे नैन में महाराज (१६) शिवपुर जाना मोकु (१७) अवधू क्यो सोवे (१८) जगत रूठीने शुं करशे ६.१९) ऐसी दशा हो भगवन | | IE I | | | | | | | । । । । । । । । | | | ११६ ११७ ११७ ११७ ११८ ११६
SR No.032198
Book TitlePrachin Stavan Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivya Darshan Prakashan
PublisherDivya Darshan Prakashan
Publication Year
Total Pages166
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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