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७. १२.६]
सुदसणचरित घत्ता-इय वयणु सुणेवि अभयहिँ णउ रक्खिज्जइ ।
कविलाश सगुज्झ रहसंगष्ट अक्खिजइ ॥१०॥
इमाहे कंतस्स गुणा सुणंतिया परोक्खराएण रया अहं थियो । वयंसिए अग्गन जंतु जाणिओ मिसेण तो वाहरिऊण आणिओ॥ सत्थ ।। छुडु रइहरम्मि वणिवरु पइड मई करे धरेवि वुत्तउ मणिहु । पयलंतु मयणसिहि उवसमेहि लइ एक्कवार पहु मइँ रमेहि । हउँ संढु तेण महु कहिउ झत्ति मुक्कउ कराउ अइ हुय विरत्ति'। इय कहिउ गुज्झु कविलाश जाम विहसेवि वुत्तु अभयान ताम । अच्छउ तही देसही तणिय वत्त जहिँ तुहुँ वि छइल्लहिँ मज्में वुत्त । किं ते आलोयणभावसुद्धि ण मुण जे बोल्लिए परहो बुद्धि । हउँ तुज्झ बुद्धि पाएँ लुहेमि परहियण केम णियमइ छुहेमि । सहि पिययमु इह धुत्तीहि तेम वाहिज्जइ पय पाणहिय जेम । घत्ता-वयणेण वि तेण वंचिय तुहुँ हउँ इय मुणमि ।
गट सलिलसमूह पालिहि बंधणु किं कुणमि ॥११॥
हलि हलि सो जिणधम्मरत्तओ दयावरो दुव्वसणेहिँ' चत्तओ। सरस्सईमंडिउ लद्धसंसओ पराण णारीण सया णउसओ ॥ सत्थ ।।
इय सुणेवि अभयहे गिर कविला कुविय बोल्लए । देवि एत्थु जम्मुब्भवपयइ किं को वि मेल्लए ॥ .. . हीण दीण हउँ बंभिणि सुगुणसुबुद्धिवज्जिया। . . अप्पसुओं आहाणउ णिसुणंती ण लज्जिया।।
१०. ५ ख रहसेंगया ग घ रहसंगइ।
११. १ ख गुणं । २ ग घ थुणेतिया। ३ ग घ महंतिया। ४ ख ग घ अई। ५ ख हुवउ रत्ति। ६ ख मझ। ७ ख पालोवरिण। ८ ख मुहि जै बोल्लियः ग घ जो बोल्लिए।
१२. १ घ दुव्वयणेहिं । २ ग घ बभरिण। ३ क सगुणि । ४ ख अयसउ।
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