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________________ स्तवनादि द्वारा संगीतनुं संयोजन करवामां आव्यं छे हा संगीतमां मस्ती अने मस्तीमां भक्ति जमाववानी शक्ति भारोभार रहेली छे । - भक्तिमार्ग ए साचो जीवननो- कार्डियोग्राम छे। जेमां विरोध वगरनो बधानो निरोध थई जाय छे। ___ भक्तिमार्ग ए प्रसन्नतानो मार्ग छे आवी भक्तिनुं माध्यम छे शब्दो, ज्यारे तेमां भाव मले छे त्यारे तेमांथी स्तुति-स्तवन-सज्झायादिनो जन्म थाय छे। -आवा भाववाही प्राचीन स्तुति-स्तवनो-सज्झायादिनो विविध संग्रह करीने 'भक्तिनो रसथाळ' प्रस्तुत पुस्तकमां प्रकाशित करवामां आव्युं छे। अने ते सरल एवी हिन्दी भाषामां देश-विदेश दक्षिणतमिलनाडु, कर्णाटक आंध्र वि० महाराष्ट्र-राजस्थान वि० प्रदेशोमां विचरता जणायुं के श्री राजस्थानी समाजमां राजस्थानी वर्गने (बाल आबाल वृद्धने) भक्तिमार्गमा जोडवो होय, परमकृपालु परमात्मा साथे मिलन कराववो होय तो हिन्दी पुस्तकोनी आवश्यकता विशेष प्रमाणमां छे मांग विशेष छ। ए हेतुने लक्ष्यमां राखीने आ पुस्तक--आ रसथाळनुं प्रकाशन करवामां आव्युं छे। आशा छे भक्तिमार्गना चाहकोने विशेष उपयोगी बनशे ज। परमकृपालु परमात्मानी आज्ञा विरुद्ध भक्तिमार्गना आशय विरुद्ध कई पण लखायुं होय तो ते बदल हार्दिक मिच्छामिदुक्कडं याचुं । आ रसथाळ प्रकाशनमां नामि - अनामि अनेक पुण्यशाली आत्माओना सहयोग दानथी तेम ज साधु साध्वीजी भगवंतोना अभ्यासार्थे विविध संघोनी संस्थाओए पोताना अमुल्य ज्ञान खातामांथी श्रुतभक्ति अर्थे दानना सुंदर प्रवाहनां सहयोगथी संपन्न बन्यो छे। तो चालो भक्तियोगने साधी ल्यो । भवोभवना पापतिमिरने हरी ल्यो। गुरूकृपाकांक्षिणी सा० दिनमणीश्रीजी
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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