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________________ 567 तोयन खुटे जरीओ. नव० (४) चारित्र पद नमुं आठ रे, नवमे तप करो बहु ठाठ नव. रे. दुःखदारिद्र जेहथी नाशे रे, जिनवरनी रे प्यारथी पूजा करीओ. नव० (५) नवदिन शियळव्रत पाळो रे, पडिक्कमणुं करि दुःख टालो रे, जेम चंपापति श्रीपाळ रे, मनमांही रे शंका न राखो जरीओ. नव० (६) ओगणीश अठ्ठावन वर्षे रे, पोष मास पुनमतिथी फरसे रे, भावे गावे ते भव नवि फरसे रे, निर्भयथी रे धर्म कहे भव तरीओ. नव० (७) (70) श्री वर्द्धमान तपy तप पद धरजो ध्यान भवि तुमे तप पद धरजो ध्यान, नामे श्री वर्द्धमान...भवि०...दिन दिन चढते वान भवि०...सेवो थई सावधान भवि०... प्रथम ओली अक आयंबील, बीजीओ आंबेल दोय भवि०...त्रीजी ओ त्रण चोथी चार छे रे, उपवासांतर होय. भवि०॥१॥ ओम सो आंबील व्रतनी रे, सोमी ओली थाय भवि०...शक्ति अभावे आंतरे रे, विश्रामे पहोंचाय० भवि०॥२॥ चौद वर्ष त्रण मासनी रे; उपर संख्या दिन वीस भ०...; काल मान ओ जाणवू रे कहे वीर जगदीश...भ०.॥३॥ अंतगड अंगे वर्णव्युं रे, आचार दिनकर लेख भ०...ग्रंथांतरथी जाणवो रे ओ तपनो उल्लेख...भवि०.।।४।। पांच हजार पचास छे रे, आयंबील मली सर्व भ०...; संख्या सो उपवासनीरे, तपमां न करो गर्व०...भवि०.॥५॥ महासेन कृष्णा साधवी रे, अजरामद पद लीध...भवि०. ॥६॥ श्री चंद्र केवली ओ तप सेवीने रे, पाम्या पद निर्वाण०...भवि, धर्म रन पद पामवा रे, ओ उत्तम अनुष्ठान...भ०.||७|| (71) नवपदनी ओळीनी द्राको नव (राग जीवनना महासागरमां) (ढा. १) देश मनोहर माळवो, निरुपम नयरी उज्जेण ललना; राज करे तिहां राजीयो, प्रजा पाल भूपाल ललना, श्री सिद्धचक्र आराधीओ. १ तस अंगज बे बालिका, मयणा जग विख्यात ललना; जिनमति पासे विद्याभणी, चोसठ कळा विशाळ ललना श्री सिद्धचक्र० २ सातसें कोढीनो अधिपति, श्री श्रीपाल नरिंद ललना; परणावी मयणा तेहने, कोढीशं धरती नेह ललना श्री सिद्धचक्र० ३ पियु! चालो देव जुहारीओ, ऋषभ जिणंद इष्टदेव ललना;
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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