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________________ 523 परिचित छे घणा, डुंगरा दूरथकी दीसे रळीयामणा, अवे कपिल नामे ओक नृप सुत आवीयो, तेने मरिची अ प्रभुनो धर्म सुणावीओ. ॥५॥ योग्य जाणी कहे जाओ मुनि पासे तुमे, दीक्षा ल्यो शुभ भावथी कहीओ छीओ अमे; कपिल कहे तव धर्म नथी शुं तुम गच्छे, मनथी चिंते अजोग ओ मुज लायक अछे. ॥६॥ मरिची कहे भो कपिल इहां पण धर्म छे. चित्त रुचे तिहां सेवीओ ओ हित मर्म छे; इम उत्सूत्र कह्याथी संसार वधारीयो, सागर कोडा कोडी अपार अवारीयो. ॥७॥ चोराशी लाख पूर्व- आयुष्य भोगवी, अने अनालोचित त्रीजे भवथी चवी; दश सागर भव चोथे पंचमे स्वर्गथी, उपन्यो पंचम भव हवे ब्राह्मण गर्वथी. ॥८॥ अॅसी पूर्व लख आउखे कौशिक द्विज थयो, थुणा नयरीओ छठे भव भमता गयो; बहोतेर लख पूरवायुपुष्प द्विज नामथी, अंते त्रिदंडी थइने मुओ ते अकामथी. ॥६॥ सातमे सोहम चैत्यपुरे भव आठमे, अग्नि द्योत द्विज लख पूर्वायु साठमें; अंते त्रिदंडी थइने, हवे नवमे भवे, इशाने अमृत सुख रंगे अनुभवे. ॥१०॥ (ढा. ४) (राग :--सिद्धागिरि ध्यावो भविका) अग्निभूति द्विज दशमे आयो, मंदर पुरमा तेह सोहायो; लालन छप्पन लाख पूर्वायु धरतो, अंते त्रिदंडी थइने ते फरतो, लालन त्रिदंडी थइने ते फरतो. ॥१॥ इग्यारमे भवे सनत्कुमार, बारमे घेतांबीये अवतार. लालन० भारद्विज अंते त्रीदंडी, चुंमालीस लाख पूर्वायु मंडी. ला० पू० ॥२॥ तेरमे भव थयो महेंद्रदेव, चौदमे थावर ब्राह्मण देव. ला० ब्रा० चोत्रीश लाख पूर्वायु पाली, त्रिदंडीयो थइने कायाने गाळी. ला० का० ॥३॥ पन्नरमे भवे पांचमे स्वर्गे, तिहांथी चवी भमीयो भवरणे भ० सोलमे भवे विधभूति नामे, क्षत्रीयसुत उपन्यो ते सकामे. ला० उ० ॥४॥ विशाखा भूति धारिणी जायो, संभूति साधुओ तेह वंदायो. ला० ते० सहस वरस जिन चरण आराधी, तपसी थयो अति विरमी उपाधी. ला० वि०॥५॥ ओक दिन मथुरामां गोचरी चाल्यो, वरजात्राओ जता भाईले भाल्यो. ला० भा० अहवे अक गाये तस मार्यो, भूमि पड्यो अति क्रोध वधार्यो. ला० अ० ॥६॥ ते जोता गौ गगने भमाडी, ईम निज ओम भुजबल तेहने देखाडी. ला०ते० अणसण साथे नियाj कीg, तप साटे बल मांगीने लीधुं. ला० मा० ॥७॥ कोड वरसनुं जिवीत धारी, सत्तरमे शुक्र स्वर्गे अवतरि. ला० स्व० अढारमे भवे पुत्रीनो कामी, प्रजापति पोतनपुर स्वामी.
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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