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________________ 427 पर्वतिथी ढाळो (1) बीज तिथिनी ढाल--२ (दुहा) सरस वचन रस वरसती, सरसती कळा भंडार; बीजतणो महिमा कहुं जिम कह्यो शास्त्र मोझार...॥१॥ जंबु द्विपना भरतमा, राजगृही नयरी उद्यान; वीर जिणंद समोसर्या, वांदवा आव्या राजन...॥२॥ श्रेणिक नामे भूपति, बेठा बेसण ठाय: पूछे श्री जिनरायने, द्यो उपदेश महाराय...।।३।। त्रिगडे बेठा त्रिभुवन पति; देशना दिये जिनराय; कमळ सुकोमळ पांखडी, ओम जिन ह्रदय सोहाय०...।।४॥ शशी प्रगटे जिम ते दीने, धन्य ते दिन सुविहाण, अकमने आराधतां, पामे पद निर्वाण...॥५॥ ढा. १ कल्याणक जिननां कहुं, सुण प्राणीजी रे, अभिनंदन अरिहंत. भगवंत, भवि प्राणीजीरे, माघ सुदि बीजने दिने सुण०; पाम्या शिवसुख सार, हरख अपार०...भवि०..॥१॥ वासुपूज्य जिन बारमा सुण० ओहज तिथे थयुं नाण, सफळ विहाण भवि०.. अष्ट कर्म चूरण करी, सुण० अवगाहन अकवार, मुक्ति मोझार०...भवि०..।।२।। अरनाथ जिनजी नमुं, सुण० अष्टादशमा अरिहंत, ओ भगवंत,...भवि०..उज्वल तिथि फागण भली सुण० वरिया शिववधु सार, सुंदर नार,...भवि०..॥३॥ दशमा शीतळ जिनेवरु सुण० परमपदनी जे वेल, गुणनी गेल;...भवि०..वैशाख वदि बीजने दिने, सुण० मूकयो सरवे ओ साथ, सुर नरनाथ,...भवि०..॥४॥ श्रावण सुदनी बीज भली, सुण० सुमतिनाथ जिन देव सारे सेव,...भवि०...णि तिथिओ जिनजी तणा, सुण कल्याणक पंच सार भवनो पार,...भवि०..॥५॥ ____ढा. २ (राग : एक दिन पुंडरिक) जगपति जिन चोविशमो रे लाल, ओ भाख्यो अधिकार रे भविक जन; श्रेणिक आदे सहु मव्यां रे लाल, शक्ति तणे अनुसार रे, भविकजन, भाव धरीने साभळो रे लाल०...॥१॥ दोय वरस दोय मासनी रे लाल, आराधो धरी हेत रे भविक जन; उजमगुं विधिशुं करो रे लाल, बीज ते मुक्ति महंत रे भविकज०...॥२॥ मार्ग
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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