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________________ 381 (48) श्री पार्श्वनाथ भगवान नी पंचकल्याणकनी ढालो (ढाल--पहेली) हारे मारे पार्थजिणंदनो, महिमा पुरण जाणजो, पंचकल्याणक वर्णवू, हर्ष हैडे धरीरे लोल, हारे मारे सुणता थाये दुःख दोहग हरनारजो, थुणतां पातिक न रहे, कर्म दूरे करीरे लोल ॥१॥ हारे मारे सागर विशनी स्थिति पूरण करी आपजो, प्राणतनामा दशमां देवलोकथी चवेरे लोल, हां० ॥ चैत्रवदनी चोथ घणी सुखदायजो, चवीयां जिनजी माता वामानी कुंखेरे लोल ॥२॥ हां० नयरी वाराणसी अश्वसेनमहाराजजो, विशाखानक्षत्रे गर्भे उत्पन्न थयां रे लोल, हां० ॥ मतिश्रुत अवधिना साहित जिनरायजो, मातावामाए सपना चौदनिरखीयारे लोल ॥हां०॥ मासनव घणा, पूरण वीतीजायजो, साडासात दिवस उपरगणतां थयारे लोल हां० ॥ पोषवदनी दशमी दिन शुभ आपजो, जन्म्या जिनजी औच्छवमंगल अतिथयारे लोल हां० ॥४॥ आसनकंपथी जन्म प्रभुजीनो जाणजो, छपन्नदिक्कुमरीमली सूती करम करेरे लोल, हां ॥ रक्षापोटली बांधे प्रभुजीने पाणीजो, कलशा चामर अरिसाने पंखो धरेरे लोल ॥हां०॥५॥ हारे मारे इद्र चौशठ मली आवे होडा होडजो, पर्वतमेरुनी उपरे मात्र महोत्सव करेरे लोल, हां० ॥ देव चतुर्विघ मलीयां क्रोडा क्रोडजो, जन्म महोत्सव करी जिनने जननी पासे धरेरे लोल ॥हां०॥६॥ हारे मारे अनुक्रमे जन्म्यां त्रिभुवनस्वामीजो, विजय मुक्तिपद लेवा सुरमुख उच्चरे रे लोल, हारे मारे प्रभुजीनी स्तवना करीये बुद्धि पामीजो, कमलविजयकहे व्हेला शिव सुख ते वरेरे लोल ॥हां०||७|| (राग : दिलरंजन जिनराजजीरे) (ढाल--बीजी) जन्म महोत्सव जिनजी जाणी, हरख्यां राजा राणीरे ॥ स्वामी० ॥ जयवंत दश दिवसनी कुल मर्यादा, करे उलट आणीरे ॥ स्वामी० ॥ देख्यां सुपन तणे अनुसारे, पार्थकुमार नाम धाररे ॥ स्वामी० ॥१॥ बालपणे प्रभुने हुलरावे, मात-पिता सुखपावे रे ॥ स्वामी० ॥ अनुक्रमे गुणरत्नाकरस्वामी, बाल अवस्था पामीरे ॥ स्वामी० ॥२॥ हवे यौवनवय प्रभुनी जाणी, परणावे प्रभावती राणीरे ॥ स्वामी० ॥ सुखविलसे संसारना स्वामी, नव-हाथ- देह पामीरे ॥ स्वामी० ॥३॥ एकदिन गोखे बेठा बिराजे,
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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