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________________ 372 मेटीया, लेटीया ताहरे चरणे जूओ० (४) पार्थ तु मुज धणी, प्रीति मुज बनी घणी, विबुधवर नयविजय गुरु वखाणी,....मुक्तिपद आपजो, आपपद स्थापजो, जस विजय आपनो भक्त जाणी, (५) (31) पार्श्वनाथ जिन स्तवन (राग - दिल दिवाना) शेरी माहे रमता दीठा, पार्थ कुंवर नानडीयाजी, रूमझुम रूमझुम घुघरा घमके, हाथे उछाळे दडीयांजी, (१) पुनम चंद सम मुखडु मलके, काने कुंडळ वांकडीयाजी, हैये हार अनुपम सोहे, केडे कंदोरो जडियाजी, (२) सुवासण खंधोले बेसाडे, केडना देदार फरियाजी, मा मा करतां ओढणी खेंचे, इन्द्राणी केडे चडीयाजी, (३) शेरी माहे फेरी रे करतां, रस पीने शेलडीयांजी सरखे सरखां टोळा मळीने, वहेंचे छे सुखडियांजी, (२) (४) सवार पहोरमां निशाळे जातां, हाथमां पाटी खडियांजी, इन्द्र तणा संशय जेणे पुर्यां, शास्त्र सकल आवडियांजी, आनंद घन प्रभुना गुण गातां, आछाते भाग्य उघडियांजी, (६) (32) पार्श्वनाथ जिन स्तवन मारा पार्थ जिनदेव, आज तारे ध्यान मारे आनंद थयो (२) ॥१॥ काम कुंभ काम धे, आज मारे बार, तारो जिन आज दीठो, मीठो जब देदार....मारा०॥२॥ अष्ट सिद्धि नव निधि आज तारे नाम, ते जे जीति पाम्यो जोर यादव कान....मारा०॥३॥ माता वामादेवी नंद, मुख पूनम चंद, अश्वसेन भूप वंश, दीपतो दीणंद,....मारा०॥४॥ सेवा सारे चित्त धारे, जेह नरने नार, ब्राह्य ग्रही तेहने तुं, तारे आ संसार....मारा०॥५॥ देव दानव इन्द्र मानव, जख्ख रख्ख कोडी, पाय नमी सेव सारे, उभा बे कर जोडी....मारा० ॥६॥ घणा दिन चाहता में दीठो तुं जिणंद, रोमे रोमे मुज जाग्यो, प्रेम परमानंद....मारा० ॥७॥ स्वामी अंतर्यामी, आज पाम्यो में एकांत, दास गणीए वयण सुणीये, विनंती वृतांत....मारा० ॥८॥ आठ कर्म मोरा टाळो, शाळो सघळा पाप, जपतां हरे रोग शोक, नाठा सवी संताप ....मारा ॥६तुठ्यो तुठ्यो अमीय वुठ्यो, मेघ मारे आज, ज्ञान विमल स्वामी माहरे, सिध्यां सघळा काज....मारा० ॥१०॥
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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