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________________ 367 शंखेश्वर० ॥५॥ सुरतरुनी छाया छोडी तावडे, कुण भमे रे, शंखेश्वर० ॥६।। खीर खांड घृत पामी कुकस, कोण जमे रे०. शंखेश्वर० ॥७।। खिमाविजय जिन गेह, मंगलगीत घुमे रे०. शंखेश्वर० ॥८॥ (19) पार्श्वनाथ जिन स्तवन (राग - मणीयारो ते) श्री चिंतामणी पार्थजीरे, द्यो दरिसण महाराज रे प्रभुजी मारा द्यो० (१) सुरतरुनी पेरे शोभता रे, आपो अविचल राजरे, प्रभुजी मारा द्यो० (२) कुमार पणे करुणा करीरे, राख्यो बळतो नागरे, जो सेवकने मूकशो रे, तो अपजशनो लागरे.... प्रभुजी० (३) वामा उरसर हंसलो रे, अश्वसेन कुलचंद रे, शीवरमणी वर्या प्रभुजी, भोगवे परमानंद रे.... प्रभुजी० (४) धन्य जीवन जन एहवं रे, अहनिश सेवे पायरे, भक्ति भलि परे साचवी रे, आण वहे सदाय रे....प्रभुजी० (५) भव अटवी भमतां थकारे, दीठो प्रभुजी देदार रे, श्री जिन उत्तम देव हुओ रे, पद्मने हर्ष अपार रे....प्रभुजी० (६) (20) पार्श्वनाथ जिन स्तवन (राता जेवा फुलडां) लाखेणो सोहावे जिनजी फूलडांनो गळे हार, आणीने सोहावे जिनजी आंगीओ रचाव, मारो पार्थ जी हो लाल, शंखेश्वरा पार्श्वजी हो लाल, संकट छोडावो स्वामी विघ्न निवार० (२)...(१) पद्मणी चाल्या पूजवाने, धरी सोळ शणगार, पाये घमके घुघरीने उरनो रणकार.... मोरा पार्थजी० (२) मेघमाळी देवताए, कीधो घनघोर, गाजे गगने वीजळीने, पाणी वरसे जोर.... मोरा पार्धजी० (३) ध्यान थकी नवि चूकिया, प्रभु पार्थ जिणंद, देही कष्ट निवारवाने, आव्या छे धरणिंद....मोरा पार्धजी० (४) गोडी पार्थ पूजीए जीम, होये रंगरेल देखी मुर्ति पार्थजिननी जाणे मोहनवेल....मोरा पार्धजी० (५) ठमक ठमक चालतीने, घुघरीनो घमकार ताता थै ताल वाजे देवतानी चाल....मोरा पार्थजी० (६) केसर चंदन घसी घणाने, कस्तुरी बरास, जे नर भावे पूजशे ते उतरशे भवपार.... मोरा पार्थजी० (७) तुं ही मारो साहिबोने, तुं ही जीवन प्राण, तुं ने माने देवताने, मोटा राणा राय,....मोरा पार्श्वजी० (८) पंडित मांहे शिरोमणी, कनक विमल गुरुधीर, चरण कमल सेवे सदाने, 'केसर' कवियण धीर....मोरा पार्धजी० (६)
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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