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________________ 334 जाणीने, पछी वर्या श्री जिनराज, मोक्ष पट्टराणीने प्रभु मुक्ति विजय महाराज, हृदयमां स्थापजो, तुम चरण कमलनी सेव, निरंतर आपजो. ॥५॥ (11) श्री नेमनाथ जिन स्तवन गढ गिरनारे जई रह्या रे, यादव नेमिकुमार, विर वचन बोले इस्यां रे, राजीमती तव नार, सुणजो सैयरो रे वयणा. ॥१॥ पगला पीयुनां जट जट लागी, लागी रे नयणां, माहरे तीखा तीर जटपटे, लागी रे वयणा...सु. ॥२॥ तोरण आव्या नेमजी रे, पाछा वव्यां केम, कपट कर्यु परण्या तणुं रे, बाजीगर पर जेम...सु० ॥३॥ करुणा कीधी पंखीया रे, नवि किधी मुज सार, तो पण साची पतिव्रता रे, तेही ज तारी नार...स० ॥४॥ अष्टभवांतर नेहलो रे, नवमें भव दीधो छेह, केड न छोडुं ताहरो रे, जेम छायाने देह...सु० ॥५॥ अम कहेती पहोती पीया रे, पीयु पासे लीये दीख, रहनेमी पण बुझव्या रे, देही हितनी शीख...सु० ॥६।। यादव कुल चुडामणी रे, धन-धन राजुल नेम, ज्ञान विमल कहे अहनो रे, साचो पूरण प्रेम...सु० ॥७॥ (12) श्री नेमनाथ जिन स्तवन (राग : मणियारो ते) चंपकवर्णी चुंदडी रे, साहिबा आवि छे गढ गिरनार रे, केसरीया नेम आवोने, माहरे मंदिरे. ॥१॥ कोणे लीधीने कोणे मुलवी रे, कोणे खरच्या छे द्रव्य रे, कृष्णे लीधी बलभद्रे मुलवी रे, नेमजीओ खरच्या छे द्रव्य रे. ॥२॥ राजुलबेनी बेठा माळीये रे, जुओ छे जादव कुलनी जानरे, सरखी साहेली बोले मचकडे रे, राजुलनो काळो भरथार रे.॥३॥ काळा ते गेमर हाथीया रे, काळा ते वरसे मेघ रे, काळो ते कसबी कंचवो रे, काळी ते काजल रेख रे. ॥४॥ नेमजी ते तोरण आवीया रे, पशुडाओ मांड्यो पोकार रे, नेमजीओ शाळाने पुछीयुं रे, मांडवे आ शो पोकार रे. ॥५॥ राजुल बेनी राते परणशे रे, प्रभाते देशुं गौरव रे, नेमजीओ रथ पाछो वाळीयो रे, जई चड्या गढ गिरनार रे. ॥६॥ राजुल रोती नीसरी रे, विनवे छे मात ने तात रे, राजुल तमारी चुंदडी रे, रंगी छे वार कुवार रे. ॥७॥ नहि पहेरीने नथी पहेरवी रे, मेली छे बारणा बहार रे, राजुल तमारो कंचवो रे, सीव्यो छे रात--सवार रे. ॥८॥ नही पहेर्यो ने नथी पहेरवो रे, मेल्यो छे मोभा हेठ रे,
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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