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________________ जैफ वये प्रतिक्रमण कार्योत्सगादि उभा करवानो ज आग्रह ओवी सतत जाग्रत दशा छ। जेनी..... . जिनाज्ञा प्रत्येनी वफादारी अद्भुत कोटीनी अने लाडिला गुरु म. प्रत्येनो अहोभाव समर्पणभाव अजब-गजबनो रह्यो छे जेने......... है जिनाज्ञा अने गुर्वाज्ञाथी पोतानुं संयम जीवन तो नंदनवन बनावी दीधुं साथे साथे पनोता पुत्र जे कुंदनमांथी पू० कनकध्वज म० बन्या तेने पण जिनाज्ञा गुर्वाज्ञा गुरुकृपा वैयावच्चादि उत्तम गुणोथी तरबतर करी दिधो छे जेने....... म बे साल पूर्वे ज नादुरस्त तबीयतमां पण देहनी क्षीण ताने जोया विना चोथ भक्तथी वर्षीतप अनेक त्याग साथे पूर्ण कर्यो छे जेने... # आवा अनेकानेक गुण गणना भंडार पूज्य पिताश्रीजी म. ना चरणोमां कोटी कोटी नमन हो मारा अने मारा परिवारना.... उत्तरोत्तर संयम जीवनमा जेम जेम पात्रता योग्यतानी वृद्धि थती गई तेम तेम गणि, पन्यासने आचार्य पदथी विभूषित बनी शासन प्रभावनार्थे ___बंगाल, राजस्थान, गुजरात, सौराष्ट्र, महाराष्ट्र मां सारं एबुं विचरण कर्यु। ४६ वर्षना संयम पर्यायमां चातुर्मास क्षेत्रो नी झांखी............ प्रथम चातु० -- कलकता, राजगृही, जबलपुर, राजनगर, पीडवाडा, शीवगंज, मंडवारीया, खंभात, पालीताणा, पुना, महेसाणा, आमोद, आंकलाव, पाटण, सावरकुंडला, जामनगर, दहेज, तेमज मुंबईमां माटुंगा, लालबाग, दादर, वालकेश्वर, शांताक्रुझ, वडाला, घाटकोपर, श्रीपालनगर, बोरीवल्ली,
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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