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________________ 129 जना, तेनो अर्थ सुणी गणधर वली, सिद्धांतने बंदु लळी लळी ॥३॥ दिवाळी ते महापर्व जाणीओ; महावीर थकी मन आणीओ; गणणुं गणी छठ्ठ तप जे करे; लाल विजय सिद्धाइ संकट हरे; ||४|| (144) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति सर हरर खललल, ध्रसग छबछब, न्हवण जल क्रोडो मणो, खण खणण त्रोड् त्रोड्, टनाक, टन् टन्, घोष कळशाओ तणो, सुर संघ नाचे, छनन छूम छूम, रणण झुम झुम, जय करो, श्री विर प्रभुनो जन्म उत्सव, जगतनुं मंगल करो, )) 9)) पी पीव पूंपूं, त्रणण तुम् तुम्, भणण भुं श्रुं वागता, धप खणण खलबल, तडाक त्रुं त्रु, धडाक धुं धुं गाजता, जय जयउनंदा, जयउ भद्रा, जयउ खतिय बल धरो, चोवीश जिननो दीक्षा उत्सव, शांति सद्गुण पाथरो, ॥२॥ गम सारी धपणी, तुं तीणी तुं, विणा वागे सुस्वरे. धा धअअ तरू तरू, ध्रपं ध्रों ध्रों, देववाजा अनुसरे. स्वाद्वाद नय निक्षेप भंगी, द्रव्य गुणनो सागरो, श्री विरवाणी धोध सौनो, कर्म मल दूरे करो, ॥३॥ कड कडड भूस, कडडाट करी, भडवीर भैरव चूरतो, धम् धम् अवाजे चालतो, जिन भक्त पडचा पूरतो, चारित्र दर्शन विघ्न भंजन, धर्म रक्षा तत्परो, मणिभद्रजी कल्याण माळा, संघने कंठे ठवो, 11811 (145) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति गंधारे महावीर जिणंदा, जेने सेवे सुर नर इंदा, दीठे परमानंदा; चैतर सुद तेरस दिन जाया, छप्पन्न दिग् कुमरी गुण गाया, हरख धरी हुलराया; त्रीश वरस पाली घरवास, मागसर वद दशमी व्रत जास, विचरे मन उल्लास; अ जिन सेवो हितकर जाणी, अहथी लहीओ शिव पटराणी, पुण्य तणी अ खाणी. १ ऋषभ जिनेश्वर तेर भव सार, चंद्र प्रभ भव सात उदार, शान्तिकुमार भव बार ; मुनिसुव्रत ने नेमकुमार, ते जिनना नव नव भवसार, दश भव पार्श्वकुमार; सत्तावीश भव वीरना कहीओ, सत्तर जिनना ऋण ऋण लहीओ, जिन वचने सहीओ; चोविश जिननो अह विचार, अहथी लहीओ भवनो पार, नमतां जय जयकार. २ वैशाख सुदि दशमी लही नाण, सिंहासन बेठा वर्धमान, उपदेश देओ प्रधान; अग्नि खुणे हवे पर्षदा सुणीओ,
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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