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________________ 122 ध्याता, आतम साधन साधोजी; धरणेन्द्र पद्मावती देवी, सेवा करे प्रभु आगेजी, श्री हर्ष विजयगुरु चरण कमलनी, राजविजय सेवा मांगेजी. ४ (128) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति श्रेयः श्रियां मंगलकेलिसद्म! श्रीयुक्तचिन्तामणी पार्श्वनाथ !, दुर्वारसंसार-भयाच्च रक्ष, मोक्षस्य मार्गे वरसार्थवाह !. १ जिनेश्वराणां निकर ! क्षमायां, नरेन्द्र देवेन्द्रनतांघ्रिपद्म, कुरुष्व निर्वाणसुखं क्षमाभृत् ! सत्ककेवलज्ञानरमां दधान. २ कैवल्यवामाह्रदयैकहार ! क्षमासरस्वद्रजनीशतुल्य, सर्वज्ञ ! सर्वा तिशयप्रधान ! तनोतु ते वाग् जिनराज! सौख्यम्. ३ श्री पार्श्वनाथक्रमणाडम्बुजातरु सारंगतुल्यः कलधौतकान्ति; श्री यक्षराजो गरूडाभिधानः चिरं जय ज्ञानकलानिधान!. ४ (129) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति श्री शंखेश्वर पुरवर मंडन, पास जिनेसर राजे जी, भाव धरी भवियण जे भेटे, तस घर संपत्ति छाजे जी, जस मुख निरूपम नूर निहाली, मानुं शशधर लाजे जी, अश्वसेननरपति कुल दिनकर, जस महिमा जग गाजे जी. ...१ वर्धमान जिनवर चोवीशे, अरचो भाव अपार जी, चंदन केसर कुसुम कृष्णागरू, भेळी मांहि घनसारजी, इणि पेरे अरिहंतसेवा करतां, मनवांछित फल साधेजी, श्री शंखेश्वर पास जिनेसर, जेह अहनिश आराधेजी. ...२ श्री जिनवर भाषित आदरशे, निज घर लक्ष्मी भरशे जी, दुस्तर भवसागर ते तरसे, केवल कमला वरसेजी, दुर्गति दुष्कृत दूरे करशे, परमानंद अनुसरशे जी, श्री शंखेश्वर पास जिणंदने, जे नर मनमांही धरशे जी. ...३ श्री शंखेश्वरपास तणां जे, सेवे अहनिश पायजी, धरणराज पउमावइ सामिणी, पेखे पाप पलाय जी, श्री राधनपुर सकल संघने, सांनिध्य करजो माय जी, श्री शुभविजय सुधी पद सेवक, जय विजय गुण गायजी. ...४ (130) श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति पूजो प्रणमो भवियण वंदो, पाटण प्रगट्यो पुनिमचंदो, चिंतित सुरतरु कंदो, जसपद सेवे सकल सूरिंदो, दिन दिन वाधे अधिकाणंदो, वंदो पास
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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