SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 64 ॥ स्तुति विभाग (1) श्री सीमंधर जिन स्तुति श्री सीमंधर सेवित सुरवर, जिनवर जग जयकारीजी. धनुष्य पांचशे कंचनवरणी, मूरति मोहनगारीजी; विचरंता प्रभु महाविदेहे, भवि जनने हितकारीजी, प्रह उठी नित्य नाम जपीजे, ह्यदय कमलमां धारीजी. १ सीमंधर युगबाहु सुबाहु, सुजात स्वयंप्रभ ऋषभजी, अनंत सुर विशाल वज्रंधर, चंद्रानन अभिरामजी; चंद्र भुजंग इश्वर नेमिप्रभ, वीरसेन गुण धामजी, महाभद्रने देवयशा वली, अजित करुं प्रणामजी. २ प्रभु मुख वाणी बहु गुण खाणी, मीठी अमीय समाणीजी, सूत्र अने अर्थे गुंथाणी, गणधरथी वीरचाणीजी; केवल नाणी बीज वखाणी, शीवपुरनी नीशानीजी, उलट आणी दिल मांहे जाणी, व्रत करो भवी प्राणीजी. ३ पहेरी पटोली चरणा चोली, चाली चाल मरालीजी, अति रुपाली अधर प्रवाली, आंखलडी अणीआलीजी; विन निवारी सानिध्यकारी, शासननी रखवालीजी, धीरविमल कविरायनो सेवक, बोले नय निहालीजी. ३ (2) श्री सीमंधर जिन स्तुति अजुवाली ते बीज सोहावेरे, चंदारुप अनुपम छाजे रे; चंदा वीनतडी चित्त धरजोरे, श्री सीमंधरने वंदना कहेजो रे. १ वीश विहरमान जिनने वंदोरे, जिनशासन पूजी आणंदो रे; चंदा अटलुं काम मुज करजोरे, श्री सीमंधरने वंदना कहेजो रे. २ श्री सीमंधर जिननी वाणी रे, ते तो पीता अमीय समाणी रे; चंदा तमे सुणी अमने सुणावो रे, भव संचित पाप गमावोरे. ३ श्री सीमंधर जिननी सेवारे, जिन-शासन भासन मेवारे; तुं तो होजो संघनी मातारे, गज लंछन चंद्र विख्यातां रे. ४ (3) श्री सीमंधर जिन स्तुति श्री सीमंधर देव सुहंकर, मुनिमन पंकज हंसा जी, कुंथु अरजिन अंतर जन्म्या, तिहुअण जन प्रशंसा जी, सुव्रत नमि अंतर वळी दीक्षा, शिक्षा
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy