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________________ अन्तराल में भटकती आत्माएँ [७६ मन्त्रों द्वारा भी इन जीवात्माओं का आह्वान करता है जिससे ये किसी के शरीर में प्रविष्ठ होती है। ध्यान एवं प्रार्थना में व्यक्ति अहंकार रहित हो जाता है। जिससे उसका शरीर ग्राहक स्थिति में आ जाता है तभी वे आत्माएँ प्रविष्ठ होती देवताओं के आह्वान का पूरा विज्ञान है। इनके लिए विशेष प्रकार का स्थान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि रखकर विशेष प्रकार के मन्त्रों द्वारा आह्वान किया जाता है। मन्त्र इसका सशक्त माध्यम है। हिन्दुओं ने इस मन्त्र शक्ति पर विशेष कार्य किया है । प्रेतों के आह्वान के लिए मुस्लिम धर्म के मन्त्र काफी कारगर सिद्ध हुए हैं । हर आत्मा विशेष प्रकार के मंत्रों द्वारा ही प्रवेश करती है। __ ये मन्त्र पूर्ण वैज्ञानिक विधि से निर्मित किए गए हैं तथा इन्हें सिद्ध भी किया जाता है तभी ये उपयोगी सिद्ध होते हैं। इन मन्त्रों में ध्वनि का आह्वान में विशेष महत्व है । मन्त्रों के और भी अनेक प्रयोग हैं। ये मन्त्र शरीर व अन्तराल की जीवात्माओं के बीच सम्बन्ध स्थापित करने का सशक्त माध्यम हैं। देवात्मा तथा प्रेतात्मा के लिए भिन्न-भिन्न मन्त्र हैं। आह्वान पर यदि देवात्मा अथवा प्रेतात्मा प्रसन्न होकर आती है तो वरदान सिद्ध होती है किन्तु अप्रसन्न होकर आने पर वे सर्वनाश भी कर देती है, अतः इनकी प्रसन्नता का सर्वाधिक ध्यान रखना पड़ता है। ये आत्माएँ अपने मान-सम्मान की अधिक इच्छुक रहती हैं। प्रेतात्माएँ आते ही खाने की मांग करती है तथा जो कुछ वे माँगे तत्काल देना पड़ता है।
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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