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________________ ६२] मृत्यु और परलोक यात्रा चाहता है । ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के समय संघर्ष करना पड़ता है तथा उसे प्रेत योनि अवश्य भोगनी पड़ती है। - शरीर की आयु निश्चित है किन्तु स्वास्थ्य के नियमों का • पालन करके उसे थोड़ी बढ़ाई भी जा सकती है। सामान्यतया -शरीर के व्यर्थ हो जाने पर ही जीवात्मा उसे छोड़ती है। -स्वस्थ आदमी पहली ही बीमारी में मर जाता है किन्तु अस्सी साल तक जीवित रहने वाले का मरना भी मुश्किल हो जाता है जिसकी वासना जितनी तीव्र होगी, भोगने की जितनी अधिक - इच्छा होगी उसकी उम्र भी लम्बी होती है। कर्मफल भोग शेष रहने पर भी लम्बी उम्र होती है। जिन्दगी भर बीमार - रहने वाले का भी मरना मुश्किल हो जाता है। मृत्यु के समय जो लोग वहाँ उपस्थित हों उन्हें शान्त, मौन और भक्तिभाव से रहना चाहिए ताकि मरते हुए प्राणी के गत -जीवन के चित्र-पट दर्शन में किसी प्रकार की बाधा और क्षोभ न हो । जोर-जोर से रोने-पीटने और शोक करने से उस जीव के ध्यान की एकाग्रता भंग हो जाती है। मरते जीव को जिस ... शांति के द्वारा सुख और सहायता मिले उस शांति को अपनी स्वार्थ हानि के दुःख से भंग करना बड़ा अनुचित है । इस समय .. धर्म ग्रन्थों का पाठ या ईश्वर की प्रार्थना आदि से उसे लाभ मिलता है। हिन्दुओं में इस समय गीता सुनाने की प्रथा है। - मृत्यु के समय उसके जीवन की पूरी फिल्म उसके सामने
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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