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________________ स्थूल, सूक्ष्म व कारण शरीर [४३ करने के लिए यह फिर नया शरीर धारण करता है । भौतिक शरीर धारण करना ही जीवात्मा का अवतरण है, यही उसकी विकास प्रक्रिया का अंग है। मृत्यु के समय केवल भौतिक शरीर ही नष्ट होता है। मनुष्य की इच्छाएँ, वासनाएँ, कामनाएँ, आकाक्षाएँ, भावनाएँ, अनुभव, ज्ञान, विचार आदि ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इन सबका संग्रहीत भूत बीज ही हमारा यह सूक्ष्म शरीर है । ये ही जीवात्मा को आगे की यात्रा पर ले जाते हैं जिससे बार-बार जन्म लेना पड़ता है। जिस व्यक्ति के ये सब नष्ट हो जाते हैं उसको जाने की कहीं जगह नहीं बचती जिससे उसके नये जन्म 'का कोई कारण ही नहीं रह जाता। यह सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर का एक यन्त्र की भाँति उप-. योग करता है । जब यह यन्त्र बेकार हो जाता है तो वह उसे फटे वस्त्र की भाँति फेक कर नया स्थूल शरीर धारण कर लेता है। .. विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में भी सूक्ष्म शरीर की कल्प-. नाओं के दर्शन होते हैं। सूली के वाद जीसस का पुनर्जीवित होकर लोगों को चालीस दिन तक दिखाई देना उनका सूक्ष्म शरीर ही था। ___ मनुष्य के सारे अनुभव स्थूल शरीर के ही हैं । योगियों के अनुभव सूक्ष्म शरीर के हैं तथा परम योगियों के अनुभव परमात्मा का अनुभव है । स्थूल और सूक्ष्म शरीर अनेक हैं 'किन्तु परमात्मा एक है । सूक्ष्म शरीर पर रुकने वाले आत्माओं को अनन्त मानते हैं किन्तु जिन्हें आत्मानुभव हो जाता है वे कहते हैं--परमात्मा एक है, आत्मा एक है, ब्रह्म एक है । जिसने.
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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