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________________ 1 . पान. ब्रह्म, आत्मा और शरीर सम्बन्ध शरीर से थोड़े समय ही बना रहता है। महात्मा शरीर से अलग होकर भी जीवित रहता है। हिरोडोटस ने कहा, "शरीर के नाश होने पर आत्मा जन्म लेने वाले प्राणियों में पुनः प्रवेश करता है और थलचर, नभचर और जल चर प्राणियों में भटकते-भटकते तीन सहस्र वर्षों में पुनः मनुष्य शरीर में लौटकर आता है।" पुराने भिय निवासी मानते थे कि, आत्मा अपने निजी अलग् अस्तित्व में रहता है और शरीर से सम्बन्ध विच्छेद नहीं कर सकता। मृत शरीर के नाश होने पर उस आत्मा को पुनः मृत्यु और विनाश का दुःख भोगना पड़ता है। मृत्यु के बाद आत्मा संसार भर में स्वतन्त्रता पूर्वक विचरण करता है परन्तु रात के समय सदा दु:खी, भूखा, प्यासा अपने मृत शरीर के पास लौट आता है। यदि पुराने शरीर में कोई चोट आ जाए तो आत्मा के भी उसी भाग में चोट आ जाती है।" इसी कारण मिश्र निवासियों ने मुर्दो की रक्षा के लिए "ममीज' का आविष्कार किया। ___ खाल्डियन लोग मानते थे कि आत्मा अपनी कब्र से ही बंधा रहता है । वे मुर्दे के पुनः जी उठने की आशा करते थे। __ आर्य जाति का विश्वास था कि आत्मा शरीर से अलग रहकर अधिक आनन्द से रहती है। अतः उन्होंने मुर्दो को शीघ्र जलाने की व्यवस्था की। वे यह मानते थे कि शरीर को नष्ट कर देने से आत्मा का उससे मोह छूट जाता है जिससे उसे अपनी अगली यात्रा में सहायता मिलती है अन्यथा वह शरीर से ही बंधा रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि ये आत्माएँ इन्द्रियों के उपयोग के लिए पुनः आना चाहती हैं।
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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