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________________ पुनर्जन्म और अवतार [ १२७ पूरी आयु करके मरने वालों की भी पूर्व जन्म की स्मृति नहीं रहती क्योंकि उनकी वासनाएँ तीव्र नहीं होती एवं उनके प्राण भी बेहोशी में निकलते हैं। उन्हें लम्बे समय तक अन्तराल में रहना पड़ता है जिससे उनकी स्मृति धूमिल पड़ जाती दुर्घटना से मरने पर व्यक्ति के प्राण बड़ी कठिनाई से निकलते हैं तथा मृत्यु के समय उन्हें होश बना रहता है तथा उनकी अतृप्त वासना के कारण उनका पुनर्जन्म भी शीघ्र हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वजन्म की स्मृति बनी रहती है । यह स्मृति सामान्यतया चार से सात वर्ष तक की उम्र तक ही रहती है फिर वह भूल जाता है। पूर्व जन्म का हाल बताने वालों में अधिकाँश ऐसे ही बच्चे होते हैं जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना से अथवा भयंकर बीमारी से हुई है। आत्म हत्या करने वालों, युद्ध में मरने वाले सैनिकों आदि का पुनर्जन्म देरी से होता है किन्तु. उनकी भी स्मृति बनी रहती है। पूर्व जन्म की स्मृति के कई उदाहरण सामने आते रहते हैं । कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं। (१) एक अमरीकी जनरल जार्ज पैटन को अपने पिछले छ: जन्मों की याद थी। वे इन छः ही जन्मों में योद्धा थे। पहले जन्म में प्राग् ऐतिहासिक कालीन योद्धा थे, दूसरे में ग्रीक योद्धा थे जो साइप्रस के राजा के खिलाफ लड़े थे, तीसरे में सिकन्दर महान के, चौथे में जूलियस सीजर के, पाँचवें में अंग्रेज 'नाईट' योद्धा थे जिसने 'हंड्रेड इयर्स वार' के दौरान
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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