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________________ ११० ] मृत्यु और परलोक यात्रा (स) काम लोक ___ भू लोक सबसे स्थूल है। इससे सूक्ष्म “काम लोक" है जिसे "भुवर्लोक" भी कहते हैं। हिन्दू इसी को "प्रेत लोक" भी कहते हैं । मृत्यु के बाद व्यक्ति सर्वप्रथम इसी लोक में प्रवेश करता है। यह कामना का लोक है। इसमें वासना ग्रस्त जीव ही रहते हैं। इसके भी सात विभाग हैं। "पितर लोक" भी इसी की श्रेणी है जिसमें अधिक चेतना वाली एवं शान्त आत्माएँ रहती हैं। मानसिक स्तर के अनुसार इसे "निम्न मनस लोक" भी कहते हैं। यह लोक सूक्ष्म परमाणओं से बना है। ईथर तक की अवस्था स्थूल लोक की ही है। ईथर को भी सूक्ष्म किया जाता है तो वह “भुवर्लोक” का पदार्थ बन जाता है । स्थूलता कम हो जाने से इसमें जीवन अधिक क्रियाशील रहता है । सूक्ष्म शरीर से ही इसमें प्रवेश होता है। स्थूल इन्द्रियों से इसका ज्ञान नहीं होता। जो व्यक्ति भौतिक कामनाओं से अधिक ग्रस्त होते हैं वे मृत्यु के बाद इस लोक में रहते हैं क्योंकि उनके परमाणु एक ही प्रकार के होते हैं । यह लोक स्वप्नावस्था तुल्य है। प्रेत, पिशाच, पितर आदि इसके कई विभाग हैं । काम लोक भुवर्लोक का एक ही भाग है। __ जीवात्मा अपनी इच्छाओं, कामनाओं, वासनाओं आदि की तीव्रता के आधार पर इनमें विभाजित होकर एक निश्चित अवधि तक रहता है । यह अवधि हर व्यक्ति की अपने कर्मों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। इसके निम्न स्तर में घटिया मानसिक स्तर वाली निकृष्ट आत्माएँ रहती हैं। इसमें पशु प्रकृति अधिक होती है। इसी में यम लोक, आदि की अवस्थाएँ आती हैं।
SR No.032177
Book TitleMrutyu Aur Parlok Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Dashora
PublisherRandhir Book Sales
Publication Year1992
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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