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________________ BDEDEEDEDEREDEEDEDEDEDEOS समर्पण जिनशासन के अगम रहस्यों को प्राप्त कर जिन्होंने आत्म-साधना के बल से अपने जीवन को धन्य बनाया और स्व-पर उपकार की सरिता को बहाते हुए अत्यन्त समाधिभाव से जिन्होंने 'मृत्यु की मंगल यात्रा' के लिए प्रयाण कर दिया, ऐसे स्वनामधन्य परमाराध्यपाद वात्सल्य के महासागर अध्यात्म योगी नमस्कार महामंत्र के महान् साधक पूज्यपाद गुरुदेव पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकर विजयजी गरिणवर्यश्री की परम-श्रेष्ठ आत्मा को सादर-सविनय-सबहुमान समर्पित -रत्नसेन विजय BEDDEDEREDEEDEDDEDEOS
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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