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________________ १४३ प्रभंकरे ! हे चन्द्रे हे चन्द्रकान्ते ! हे चन्द्रावते ! हे चन्द्रवर्णे ! चन्द्रलेश्ये ! हे चन्द्रश्रेष्ठे ! हे चन्द्रशेखरे ! हे सूरे ! हे सूरपमे ! सूरकांते ! हे सूरलेश्ये ! हे सूरश्रेष्ठे ! हे सूरशेखरे ! मुझको लेोकोत्तर सुखदायीं चमत्कार दो। ॐ हूँ। घृणिः सूर्यआदित्यः श्री मेरे समी आधि, व्याधि, चिन्ता, रोग, शोकों को नष्ट करो, मुझको तुष्टि, पुष्टि और सुख दे।। ॐ ह्री श्री क्ली हे सर्वसिद्धिदायिनि ! हे सर्वसुखदायिनि ! सर्वज्ञ, सर्वदर्शी श्री सीमन्धर स्वामी जिनका स्मरण करो, गणधरसत्य का स्मरण करो, निर्ग्रन्थ प्रक्चन का स्मरण करो, आदिनाजिन का स्मरण करो, शान्तिनाथजिन का स्मरण करो, पार्श्वनाथजिन का
SR No.032168
Book TitleAdbhut Navsmaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj, Jayantilal Bhogilal Bhavsar
PublisherLakshmi Pustak Bhandar
Publication Year1977
Total Pages290
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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