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________________ मृतात्मा को शान्ति :: १५५ आदर्श बदल रहे हैं । ऐसे दिनों में प्रथम तो हरेक सवाल का जाहिरा तौर पर ऊहापोह होना चाहिए । काफी लोकमत तैयार होने पर और वैज्ञानिक तथा सामाजिक ढंग से सोचा जाने पर समाज की ओर से या सरकार की ओर से विशेषज्ञों की समिति नियुक्त होकर कुछ-न-कुछ निर्णय पर आना चाहिए। प्रेतदहन स्मशान और कब्रिस्तान के सारे सवाल को जिस तरह हमारे पुरखाओं ने गहराई में उतरकर सोचा था, उसी तरह फिर-से सोचने की लोकमानस की तैयारी करनी चाहिए। जून, १९५८ ४ : 'मृतात्मा को शान्ति' किसी व्यक्ति की मृत्यु का समाचार जब अखबार में देते हैं या उसके बारे में शौक-प्रस्ताव करते हैं, तब अन्त में आता है-'ईश्वर मृत व्यक्ति की आत्मा को शान्ति बख्शे।' कभीकभी लिखते हैं- 'ईश्वर मृतात्मा को शान्ति दे।' जिन लोगों ने शेक्सपियर का नाटक 'हैमलेट' देखा या पढ़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि पश्चिम के लोगों की मान्यता है कि मृत व्यक्ति अपनी-अपनी कब्र के नीचे दिनभर सोते हैं, रात होते ही उनके भूत कब्र से बाहर आकर इधरउधर घूमते हैं। सुबह होते ही, मुर्गे की आवाज सुनते ही, उनको दौड़कर वापस जाना पड़ता है और कब्रिस्तान में सोना पड़ता है। मृत व्यक्ति इस तरह कयामत के दिन तक बेचैन रहते हैं । अगर हम उनकी शान्ति के लिए परमात्मा से प्रार्थना करते हैं तो मृत व्यक्ति को उसका फायदा पहुंचता है। स्वाभाविक है कि वहां के लोग मृत व्यक्ति की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और अनुरूप प्रस्ताव भी करते हैं।
SR No.032167
Book TitleParam Sakha Mrutyu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaka Kalelkar
PublisherSasta Sahitya Mandal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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