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________________ [18] मिले-जुले दिखाई देते हैं । इस स्थिति की अभिव्यक्ति भी स्वप्न करते हैं कि वात-पित्त वाला रोगी पीली आँधी देखेगा, पीला आकाश देखेगा और उड़ते हुए पीले फूल, पीली इमारतें देखता है। उसके स्वपों में चमक भी रहती है । वात-कफ वाला रोगी हवा में उड़ेगा पर नीचे जलाश्य देखेगा। वह तैरेगा भी, वह उड़ेगा भी । नहाते हुए आँधी आयेगी। सफेद चादर पर या सफेद हाथी पर बैठकर उड़ सकता है। इसी प्रकार पित्त-कफ वाला रोगी नहाकर तिलकं लगायेगा, माला पहनेगा, दीपक जलायेगा, घंटे बजायेगा, पूजा-पाठ करेगा। भारी स्तन वाली देखेगा, स्तन-मर्दन या मैथुन करेगा। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि स्वप्नों के द्वारा रोग निर्णय किया जा सकता है जो कि समाज के प्रति एक सराहनीय कार्य रहेगा। केवल रोग ही नहीं बल्कि किसी भी व्यक्ति की मनोवृत्ति, विचार आदि को उसके स्वप्नों के द्वारा जाना जा सकता है।
SR No.032163
Book TitleSwapna Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogiraj Yashpal
PublisherRandhir Prakashan
Publication Year1993
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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