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________________ रहे थे। प्रातः उठते ही अपने हाथों से चाय लेकर मेरे कमरे में उपस्थित हुए, बोले-पंडितजी ! शुभ सन्देश दूं । आज प्रातः मुझे स्वप्न आया है कि मैं जीत गया हूँ, चारों ओर जय-जयकार हो रहा है, और नगरपालिका मेरा अभिनन्दन कर रही है प्रातः का स्वप्न तो सच है न ? वे चहक रहे थे, आह्लादित थे। वे स्वप्न को शुभ समझ रहे थे, मैं स्वप्न के फलितार्थों पर विचार कर रहा था । सप्ताह-भर में चुनाव-परिणाम भी निकलनेवाला था। __यह कह देता कि स्वप्न अनुकूल नहीं है तो उनका हृदय टूट जाता, उत्साह मारा जाता, और यदि वास्तविकता नहीं बताता तो मैं अपने कर्तव्य से च्युत होता। अजीब दुविधा में पड़ गया। फिर भी कर्तव्य ने भावनाओं पर विजय पाई । मैंने चुनावमें असफल होने की बात कागज पर जल्दी-जल्दी लिख लिफाफे में बन्द करके उन्हें दे दी और कह दिया, चुनाव-परिणाम निकलने से पहले खोलें नहीं, प्रयत्न करते रहें। परिणाम निकला, उनकी जमानत जब्त हो गई, हार्टअटैक ऐसा हुआ कि लगभग महीना-भर अस्पताल में रहे । अभिषेक इसका फल भी 'अभिनन्दन' की ही तरह समझना चाहिए। अवतार यदि स्वप्न में ईश्वर का अवतार होता दिखाई दे, या जमीन में से शिवलिंग प्रगट होता दृष्टिगोचर हो तो यह धन प्राप्ति का संकेत है, शीघ्र ही श्रेष्ठ लाभ होगा। अश्वारोही स्वप्न में यदि घुड़सवार दृष्टिगोचर हो, तो शीघ्र ही शुभ कार्य के लिए यात्रा करनी पड़ेगी या व्यापार-व्यवसाय हेतु ४५
SR No.032162
Book TitleSwapna Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayandatt Shrimali
PublisherSubodh Pocket Books
Publication Year1978
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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