SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दुःखी थे। घर में पूंजी नहीं थी। परिवार का सहारा नहीं था । हाँ, सौभाग्य से पत्नी उन्हें भली, सच्चरित्र एवं विदुषी मिली थी। ___एक रात उन्होंने स्वप्न देखा कि वे उत्तर दिशा की ओर व्यवसाय हेतु जा रहे हैं। मार्ग में थककर विश्राम हेतु एक पेड़ के नीचे सोये तो नींद-सी आ गई। उसी समय एक सर्प आया, और अपने सिर पर लादकर बहुमूल्य रत्नों के सन्दूक उन्हें देता रहा । उनके चारों तरफ रुपये, रत्न, हीरे-जवाहरात का ढेर लग गया । जब उनकी आँख खुली तो उन्होंने देखा कि सर्पराज उनके सिर पर फन ताने छाया कर रहा है। वे नींद से जागकर उठ बैठे, और पास सोई पत्नी को सारा स्वप्न सुना दिया। पत्नी समझ गई कि यह स्वप्न भाग्योदयकारक है, फलस्वरूप पति को जबरदस्ती बिछौने से उठाकर स्नान करवाया, और सारी रात प्रभु के आगे पूजन-सेवा करते रहे। दूसरे दिन वे सज्जन उत्तर की ओर व्यवसाय हेतु रवाना हो गये । आज उनके पुत्र-पौत्र भारत के प्रमुख व्यवसायियों में से हैं, तथा उनकी कीर्ति भारत से बाहर भी सर्वत्र व्याप्त है। यह घटना उसी घराने के एक अत्यन्त जिम्मेदार व्यक्ति ने मुझे सुनाई थी, जिसकी सत्यासत्यता पर रत्ती मात्र भी सन्देह नहीं किया जा सकता। जैसा कि मैं ऊपर कह चुका हूँ स्वप्न को मात्र भ्रम या कपोलकल्पित कहकर टाला नहीं जा सकता। केन्द्र से सम्बन्धित “सोसाइटी फॉर साइण्टीफिकल रिसर्च आफ ड्रीम्स'' के अन्तर्गत प्राप्त जब स्वप्नों के परीक्षण किये, तथा स्वप्नों के रहस्य की गुत्थियाँ सुलझाईं, तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाना पड़ा कि यह केवल 'मन की छाया' या गत दिन के कार्यों का प्रतिबिम्ब ही नहीं है, अपितु इसके पीछे एक निश्चित वैज्ञानिक आधार है। भारतीय दर्शन इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट है कि भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमण्डल में व्याप्त रहता ३७
SR No.032162
Book TitleSwapna Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayandatt Shrimali
PublisherSubodh Pocket Books
Publication Year1978
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy