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________________ मैंने पूछा-क्या कोई दुःखद समाचार आया ? वह बोले-नहीं पंडितजी, दोपहर को मैं झपकी ले रहा था, कि छोटा-सा स्वप्न आया। मैंने देखा कि एक कार-एक्सीडेंट में लड़के की मृत्यु हो गई है, वह कार में पिस-सा गया है। कहकर वे फफक-फफककर रो पड़े । मैंने पूछा-स्वप्न कब घटित हुआ ? वह बोले-दो पैंतालिस-सैतालिस के लगभग, सीधा उठकर यहीं आ रहा हूँ। ___मैंने उन्हें धैर्य बँधाया, और दृढ़ चित्त बनाये रखने की तसल्ली दी । पर.. उसी दिन रात को नौ-दस के बीच टेलीफोन पर संदेश मिला कि दोपहर दौ-पैंतालीस पर उनके लड़के की मृत्यु कार-एक्सीडेंट में हो गई। टेलीग्राम किसी मित्र ने भेजा था। वे अमेरिका गये, पर फिर क्या हो सकता था ! पर उस स्वप्न को याद कर आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं, हृदय भर आता है। लगभग दो-ढाई बरस पहले की बात है, मेरी पूज्य माताजी ने प्रातः छः बजे के करीब मुझे आकर कहा-'नन्हा' बीमार है, मुझे आज ही गाड़ी से भेज दो। मैं हत्प्रभ! मैंने कहा- ऐसा तो कोई पत्र नहीं, समाचार नहीं . . उन्होंने कहा कुछ ऐसा ही स्वप्न आया है कि 'नन्हा' (मेरा छोटा भाई) बीमार है, मैं उसके सिरहाने बैठी हूँ। मैंने अपने पुत्र के साथ मां को भेज दिया और आश्चर्य इस बात का कि सचमुच नन्हा काफी बीमार था, और माँ के आने की प्रतीक्षा कर रहा था। ये घटनाएँ और ऐसी कई घटनाएँ मेरे जीवन में घटित हुईं। उन व्यक्तियों के सम्पर्क में आया हूँ जिनके जीवन में घटित हुई थीं, और वे उच्चपदस्थ प्रतिष्ठित सज्जन हैं। उन्होंने स्वप्न को ठीक-ठीक सही पाया है। तब ऐसा नहीं कहा जा सकता कि स्वप्न मात्रभ्रम
SR No.032162
Book TitleSwapna Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayandatt Shrimali
PublisherSubodh Pocket Books
Publication Year1978
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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