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________________ स्वप्नोंको देखनेवाला धनलाभ और रोगसे मुक्ति पाता है। प्रनिष्ट फल दायक स्वप्न-केशु, वल्मीक, या फरहदके वृक्ष पर चढ़ना, तेल-कपास, तिलकीखल, लोह आदिका पाना, विपद् कारक है । व्याह करना, लाल कपड़े और लाल माला पहनना, स्रोतको सुखाना, पका मांस खानो आदि अशुभ है। चाँद और सूर्य का निस्तेज देखना, तारे टूटना, मरण या शोक सूचक है। प्रशोक, कनेर और ढाक-टेशू को फूलोंसे समृद्ध-लदा हुअा दखना शोक सूचक है। नौका पर चढना प्रवास का निमित्त है। लाल कपड़े और लाल गंध लेपन पहने हए स्त्री का आलिंगन मृत्युफल देता है । घी और तेल स्वप्नमें मसलने से रोग, और बाल तथा दान्त गिरनेसे धन नाश और पुत्रशोकका कारण बनता है। गधा, ऊँट या भंसागाडी पर बैठना या उनपर चढनेसे मृत्यू प्रोर कान-नाक हाथ कटने, कीचड में फंसने, तेल मर्दन, विष भक्षण, प्रेतका प्रालिंगन, नंगे आदमी पर चढने और काले प्रादमीके देखनेसे जीवनलीला समाप्तिका परिणाम होता है । जाग्रत अवस्थाके अनिष्ट-भों, नाक, आकाश, गंगा, अपने नाकका अग्रभाग, ध्र व, अरुन्धती, चन्द्र चिन्ह, प्रादि आयुहीन व्यक्ति नहीं देख पाता। कीचड या धूलमें रक्खे गये पैरके चिन्ह के कटे-कटे टुकड़े दिखते हों, न्हाने पर पहले मुह सूखता हो, शरीर गीला रहता हो, वृक्ष सुनहले दिखते हों, अपने पैरोंको न देखता हो, कान बंद करनेपर घूघू शब्द सुनाई न देता हो, पानी में अपना शिर न देख सकता हो, अपनी छाया में अनेक छेद देखता हो, वह अधिक दिन जीवित नहीं रहता। यदि स्वप्नमें राजा, हाथी, घोडा, सोना, बैल, और गौ दखता हो उसका कुटुम्ब बढ़ता है। बेल पर चढ़ा देखनेसे धन
SR No.032161
Book TitleSwapna Sara Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Jain
PublisherSutragam Prakashak Samiti
Publication Year1959
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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