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________________ इसमें ध्वजाका स्वप्न नहीं रक्खा है। प्रागे यह भी कहा है कि श्रीमरुदेवीने स्वप्न देखकर श्रीनाभिराजाके पास आकर स्वप्नों का फल पूछा तो उन्होंने अपने अवधिज्ञानसे उनका फल इस प्रकार बतलाया। उनके फलोंका क्रम इस प्रकार है । (१) सफेद-ऐरावत हाथी-पुत्रप्राप्ति । (२) बैल-लोकमें ज्येष्ठ कहलायँगे। (३) सिंह-अनन्तबल युक्त । (४) पचरंगी फूलमालाएं समीचीनधर्मके तीर्थ ( आम्नाय ) चलायगा। (५) लक्ष्मी-सुमेरु पर्वत के मस्तकपर देवों द्वारा अभिषिक्त किया जायगा। (६) पूर्ण चन्द्रमा-सब लोगों को परमानन्द देगा। (७) सूर्य-देदीप्यमान प्रभाका धारक होगा। (८) कलश-अनेक निधियां मिलेंगी। (e) मछली का जोड़ा-सुख होगा। (१०) सरोवर-अनेक लक्षणों से शोभित होगा। (११) समुद्र-केवली होगा। (१२) सिंहासन--जगत्का गुरु होकर साम्राज्य करेगा। (१३) देवविमान-स्वर्ग से आयेगा। (१४) नागेन्द्र भवन-अवधिज्ञानरूपी लोचन सहित होगा। (१५) रत्नोंकी राशि-गुणों की खान होगा। (१६) निर्धू मअग्नि-कर्म रूपी ईंधनका जलाने वाला होगा। श्री नाभिराजा द्वारा ये वचन सुनकर मरुदेवी का शरीर रोमांचित हो गया और उसे बड़ी प्रसन्नता हुई। महापुराण-१२वां पर्व, पृ० २५६ से २६४ तक भरत को प्राए हुए १६ स्वप्न-महापुराण (उत्तरपुराण) के २१वें पर्वके ३१७ पृष्ठ से ३३० तक यह भी वर्णन है कि भरत
SR No.032161
Book TitleSwapna Sara Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Jain
PublisherSutragam Prakashak Samiti
Publication Year1959
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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