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________________ २७ तो उसका फल निष्फल हो जाता है । अच्छा स्वप्न मूर्खको कभी न बताये, यदि कहेगा तो उसका फल जैसा वह बतायेगा वैसा ही अव्यवस्थित-अनिच्छित फल होगा। उत्तम स्वप्नज्ञके सामने कहनेसे उत्तम फल पाता है । अयोग्यको बतानेकी अपेक्षा मनमें रखना या गौ के कानमें कहना उचित है। कुछ प्राचार्योंका मत है, यदि स्वप्न किसोको न कहा जाय तो उसका फल नहीं होता। यदि पहले अच्छा स्वप्न देखकर फिर बुरा स्वप्न दीख पड़े तो बुरेका ही प्रभाव स्थिर रहता है। सिंह, घोड़ा या वृषभ रथमें जुता हो और उसपर बैठकर प्रवास करनेका स्वप्न देखना राजयोग समझा जाता है । घोडा, वाहन, वस्त्र और घरको कोई ले जाय तो राजभय, स्थान भ्रष्ट, शोक, बध, बंधन, विरोध, और अर्थ हानि हो । सूर्य और चन्द्रके प्रतिबिम्बको निगलने या पीनेका स्वप्न देखे तो समुद्र पर्यन्त पृथ्वीका अधिपति बने । सफेद हाथी पर बैठकर नदीके किनारे रायता बनाता देखे तो जनपद पतिका पद मिलता है। अपनी स्त्रीका अपहरण धननाश का सूचक है । श्वेत-सर्पने दहनी भुजा पर डंख दिया हो तो सुवर्णलाभ सूचक है। आदमी अपने चरण, मस्तक और भुजाको खाता देखे तो राज्यपद प्राप्तिका सूचक है। कालीगाय, घोडा, हाथी और पूर्वजकी आकृति देखना शुभसूचक और शेष काली वस्तुयें अशुभ-सूचक हैं । बुरा स्वप्न देखकर फिर पूर्वज-पुरुषको स्वप्न में देखे तो उत्तम वस्तुका लाभसूचक है। दूब, चावल, चन्दन और गन्ना मांगलिक हैं। राजा, हाथी, घोडा,सोना, वृषभ, गाय आदिका देखना कुटुम्बवृद्धि सूचक है। रथमें बैठकर जाना राजपदप्राप्ति का सूचक है। तांबूल, दही, वस्त्र, चन्दन, जाति, बकुल, कुंद, मुचकुंद, कुसुम-क्षुप आदिका देखना धनलाभ सूचक है। दीपक, पान,
SR No.032161
Book TitleSwapna Sara Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Jain
PublisherSutragam Prakashak Samiti
Publication Year1959
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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