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________________ भरण-पोषण [ बारहवां प्रकरण वाला अगर पहले अपना भरणपोषण न मांगे और पीछे अपनी गरीबी के कारण उसको मांगना पड़े तो उसके खर्च पहिले न मांगनेका, और क़ानून मियाद का भी कोई विरुद्ध असर नहीं पड़ेगा, देखो -- सिद्धेश्वरीदासी बनाम जनार्दन सरकार 29 Cal 557, 6 C. W. N 530; 4 Mad. H. C. 137. ६०२ दफा ७४८ भरणपोषणका दावा विधवा अपने भरणपोषणका खर्च पानेके लिये उन लोगोंपर दावा कर सकती है जो उस जायदादपर क़ाबिज़ हों कि जिससे विधवाको वह खर्च मिलना चाहिये, और वह यह भी दावा कर सकती है कि वे लोग उसके भरणपोषणका खर्च देने की ज़मानत दें, या उस जायदादपर उसके खर्चाका बोझ डाला जाय, और वह अदालत से इस हुक्मके भी दिलाये जाने की प्रार्थना कर सकती है कि वे लोग उस जायदादको न तो खराब करें और न इन्तक़ाल करें, देखो -- 12 Mad. 260; 11 Cal 492. भरणपोषणका खर्च जो बाक़ी हो उसके दिला पानेके लिये भी वह दावा कर सकती है या वह पिछला खर्च पाने और आगे के लिये खर्चका बोझ जायदादपर डाले जाने दोनोंका एक साथ दावा कर सकती है, पृथ्वीसिंह राजा बनाम राजकुंवर ( 1873 ) I. A. Sup. 203; 12 BL. R. 238; 20 W. R. C. R. 21; 2 Mad. H. C. 36; 24 All 160. भरणपोषणका पिछला खर्च अदालत दिला सकती है परंतु यह विधवा के इतके तौरपर नहीं, बल्कि अदालतकी मरजी पर निर्भर है, देखो - रघुवंशकुंवरि बनाम भगवन्त 21 All 183 अगर अदालत यह देखे कि पिछले खर्च का दावा करने के समयतक दावा करनेवालेको अपने भरणपोषण के लिये कुछ खर्च नहीं करना पड़ा तो अदालत पिछला खर्च दिलाने से इनकार कर सकती है । जिस जायदादपर विधवा के भरण पोषणके खर्चका बोझ हो उस जायदाद पर क़ब्ज़ा पाने का दावा विधवा नहीं कर सकती । जब कि हिन्दू विधवाने, जिसका पति २७ वर्ष पहिले मर गया था, परवरिश पाने तथा पिछली बाक़ी वसूल करनेके लिये दावा किया और उसने परवरिशका दावा नालिशके सिर्फ तीन वर्ष पूर्व किया था। तय हुआ कि अदालतको अपनी समझ के अनुसार उस मियादके नियत करने का अधिकार है जिसके लिये परवरिशकी बाक़ीकी डिकरी मिलनी चाहिये और इस मामले में यह पर्याप्त है कि ३ वर्षके लिये बाक़ी दिलायी जाय। मालीपेड्डी लक्ष्मन्ना बनाम मालीपेड्डी वेङ्कट सुबइय्या ( 1925 ) M. W. N. 213; 87 I. C. 2105 A. I. R. 1925 Mad. 795; 48 M. L. J. 266. नोट - ऊपर जितनी बातें विधवा के अधिकार के सम्बन्धमें कही गयी हैं वही उस स्त्री से भी लागू होंगी जो अपने पतिसे अलग रहकर भरणपोषण के खर्च के पाने का हक रखती हो । और उन लोगों से भी लागू होगी जो भरणपोषण पाने के अधिकारी माने गये हैं ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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