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________________ दफा हिन्दूलाँ की उत्पत्ति क्योंकि इसमें २६८५ ही इलोक हैं। कहीं कहीं वृद्धमनु और वृहद्मनुका हवाला भी दिया गया है। इस विषयमें डाक्टर जालीकी यह राय है कि ये दोनों मनु हालके ज़मानेके थे। सिस्टर मेन, कहते हैं कि मनुने अपने ग्रन्थमें वसिष्ठका और वसिष्ठने अपने ग्रंथमें मनुका हवाला दिया है। इससे यह मालूम होता है कि दोनों मनुके बीवमें बहुत काल बीता बौधायनने अपने ग्रन्थमें मनुका बताकर ऐसा . एक श्लोक उद्धृत किया है कि जिससे एकदम विपरीत अर्थवाला श्लोक वर्तमान मनु धर्मशास्त्रमें पाया जाता है (मनु -८६६०) तेरह चौदह सौ वर्षके पूर्वके ग्रन्थोंमें मनुका हवाला देकर उनके जो श्लोक उद्धृत किये गये हैं वे वर्तमान मनु धर्मशास्त्रमें ज्योंके त्यों नहीं, बल्कि उनके कुछ खण्ड पायेजाते हैं। मनुके वर्तमान धर्मशास्त्रमें ही कई ऐसी बातें लिखी हैं जो परस्पर विपरीत हैं । उदाहरणके लिये देखो मनु ४-२५० और ५-१५८, १६०, १६५, इन दोनों मेसे परस्पर बहुतही भेद हैं। उन दोनों अध्यायों में मांस भक्षण और विधवाके पुनर्विवाह विषयमें जो कुछ कहा गया है उसमें विरुद्धता है इसी तरहसे एक जगह तो कहा गया कि पत्नीके जीवनकालमें पति दूसरा विवाह नहीं कर सकता और दूसरी जगह कहा गया कि कर सकता है तथा यह भी कहा गया है कि पुरुषको अपने भाईकी विधवासे भाईके लिये सन्तान पैदा करने का अधिकार है। इन सब बातोंसे ऐसा मालूम होता है कि इन दोनों विषयोंके श्लोक भिन्न भिन्न कालके हैं। प्रसिद्ध जर्मन संस्कृतज्ञ डाक्टर बुलरकी पहिले तो यह राय थी कि मनुका वर्तमान धर्मशास्त्र बिल्कुलही नये ज़मानेका ग्रन्थ है परन्तु इस प्रश्नपर अधिक विचार करनेके बाद उनकी राय बदल गयी । पीछे उन्होंने ऐसा माना कि आजकल जो मनु धर्मशास्त्र है इसका कुछ भाग तो अति प्राचीन मानव धर्मसूत्रके आधारपर है और बाकी उन रसम रवाजोंके आधारपर है जो इस ग्रन्थके लिखे जाने के समय प्रचलित थीं मानवसूत्रका आश्रय मनुने और महाभारतके कर्ताने भी बहुत कुछ लिया है महाभारतके कर्ताने कहीं कहीं वर्तमान मनु धर्मशास्त्रका हवाला दिया है। डाक्टर जालीने यह सिद्ध किया है कि वृहस्पतिका धर्मशास्त्र जो तेरह चौदहसौ वर्ष पहिले लिखा गया था और जिसके अब कुछ खण्डही मिलसकते हैं उसी मनुके आधारपर लिखा गया था जिसके आधारपर हमारा वर्तमान मनु धर्मशास्त्र लिखा गया है । डाक्टर बुलर भी इस रायको मानते हैं और सब कुछ विचार करके वे इस नतीजेपर पहुंचते हैं कि भृगुसंहिता अति प्राचीन और आदि ग्रंथ है जिसमें उससे भी प्राचीन मनु धर्मशास्त्र उद्धृत किया गया है वही प्राचीन मनुका धर्मशास्त्र वर्तमान मानव धर्मशास्त्र है। यह मानना होगा कि यह एकही पुरुषका लिखा हुआ है परन्तु साथही यह
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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