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________________ दफा ७११-७१५ ] नियों की वरासतकी जायदाद हो, जायदाद पानेवाला उसका पूरा मालिक हो जाता है तथा कोई झगड़ा नहीं रहता देखो--कामाक्षानाथ बनाम हरीचरनसेन 26 Cal. 607. दफा ७१४ वह कर्जे जो जायदादपर न लिये गये हों क़ानूनी ज़रूरतोंके लिये विधवाने जो क़र्ज़ लिया हो और वह जायदाद पर कोई दस्तावेज़ लिखकर न लिया गया हो तो उस कर्जेके जिम्मेदार रिव: जनर होगे या नहीं इसमें मतभेद है। परन्तु जो क़र्ज़ खान्दानके कागेवारके वास्ते लिया गया हो उसके ज़िम्मेदार रिवर्जनर अवश्य होंगे। इस विषयमें सबकी राय एक है कि जो क़र्जा विधवाने खान्दानी कारोबारके लिये लिया हो उसके देनेके रिवर्जनर जिम्मेदार होंगे 26Bom.206:3Bom L. R.738. इलाहाबाद हाईकोर्टने रिवर्जनरोंको जिम्मेदार नहीं माना, देखो-- धीरजसिंह बनाम मंगाराम 19 All. 300. श्यामनन्द बनाम हरलाल 18All. 471. कल्लू बनाम फैयाज़अलीखां 30 All. 394. मदरास हाईकोर्ट और कल. कत्ता हाईकोर्टकी फुलबेचने रिवर्जनरको जिम्मेदार माना है देखो--33Mad. 492; 34 Mud 188; 10 Cal. 823; 6 Cal 36. हालमें कलकत्ता हाईकोर्डकी राय पहलेसे खिलाफ़ हो गयी है, उसने अब यह माना कि रिवर्जनर ज़िम्मेदार नहीं है, देखो-गिरीबाबा दासी बनाम श्रीनाथचन्द्रसिंह 12 C. W. N. 7697 प्रसन्नकुमार नन्दी बनाम उमे. दुर राजा चौधरी 13 C. W. N. 353. बम्बई हाईकोर्टने एक मामले में रिवर्जनरोंको जिम्मेदार नहीं माना, देखो-गड़जप्पा देसाई बनाम अप्पाजी जीवनराव 3 Bom. 237; लेकिन हालके एक मुक़द्दमे में बम्बई हाईकोर्टकी फुलबेचने जिम्मेदार माना 26. Bom; 206,3 Bom. L. R.738. दफा ७१५ अदालतके फैसलेसे जायदादकी पाबंदी (१) किसी विधवा या दूसरी सीमाबद्ध स्त्री मालिककी जायदाद के सम्बन्धमें अगर कोई काननी या दसरी कार्रवाई की जाय उसमें वह विधवा या कोई स्त्री अपनी जायदादकी तरफसे परे तौर पर पैरवी करने वाली समझी जायगी। अर्थात् ऐसा मानो कि किसी स्त्रीकी जायदादपर जिसे सिर्फ जीवन भर का अधिकार है कोई नालिश मालगुजारी या लगान करार देनेके लियेकी गयी हो और उस स्त्रीने योग्य रीतिसे पैरवीकी हो तो उस फैसलेके पाबंद उसके रिवर्जनर भी होगें। (२) जो डिकरी पिछले पूरे मालिकपर हुई हो तो स्त्रीके पास जायदाद चली जाने पर भी उस जायदाद पर वह डिकरी जारी की जा सकती है
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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