SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 916
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ६७७-६७६ ] रिवर्जनरोंके अधिकार बनर्जी 14 C. W. N. 895-896 में कहा है कि अगर विधवा इस बात की पाचन्द की जाय कि क़ानूनी ज़रूरत के लिये जितनी रक्कम दरकार हो सिर्फ उतनेही रक्तमकी जायदाद बेंचे तो एकतो ऐसा होना असम्भव है और दूसरे जायदादपर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है, मुमकिन है कि जायदाद में उतनी रक्रमके लिये भाग अलहदा न किया जासकता हो. हमारी राय में प्रिची कौंसिलने ऐसा व्यापक सिद्धान्त नहीं माना है, जायदादकी बिक्री सबकी सब रद की जाय या नहीं इसके विचार में केवल यह देखना चाहिये कि वह बिक्री उचित और जायदाद के लाभके लिये हुई या नहीं, देखो - फूलचन्दलाल बनाम रघुवंश 9 W. R. C. R. 107. एक मुक़द्दमे में इन्तक़ालका पूरी मतालबा क़ानूनी ज़रूरत साबित नहीं हुआ मगर फिर भी अदालतने माना कि मुद्दई पूरा मतालबा अदा करके बिक्री खारिज करा सकता है - 11 BL. R. 416, 20W.R. C. R. 1877 2 W. R. C. R. 107-109 क़ानूनी ज़रूरतों के लिये देखो दफा ४३०, ६०२. दफा ६७८ इन्तक्नालके ख़ारिज होनेपर क़र्ज़ की अदायगी जब इन्तक़ाल खारिज किया जाय तो कभी कभी ऐसा होसकता है कि रिवर्ज़नर से उतनी रक्कम अदा कराई जाय जितनीसे कि जायदादको फायदा पहुंचाहो, विधवा के पास रेहनका रुपया अदा करनेके लायक रक़महो फिर भी वह यदि जायदाद बेचकर रक़म अदा करे तो रिवर्ज़नर रेहनका रुपया अदा करके विक्री खारिज करा सकता है - मोहमद शमशुल मोलवी बनाम सेवकराम 2 I. A .7; 14B. L. R. 226; 22 W. R. C. R. 409;5 Bom. 450. अगर विधवाने पतिकी जायदाद बढ़ानेके उद्देशसे दूसरी जायदाद खरीदनेको क़रज़ लिया हो तो रिवर्जनर उस क़रज़को अदा करके वह जायदाद लेसकता है । यदि खरीदारने जायदादकी उन्नति के लिये उसपर कुछ रक़म खर्च की हो और रिवर्जनरको यह बात मालूमहो तो विक्री रद होनेपर रिवर्ज - नर वह रक़म खरीदारको अदा करेगा लेकिन जो रक़म खरीदारने मरम्मत में खर्चकी हो उसके लेनेका या अपनी बनायी हुई किसी इमारत के गिरादेनेका दावा खरीदार नहीं कर सकता, देखो - उदयसिंह बनाम फूलचन्द 5 N. W. P. 197,6 C. L. R. 140; 21 Bom. 749; 9 Bom. L. R. 1181. दफा ६७९ सरकारका अधिकार आखिरी पूरे मालिकका कोई वारिस न होनेपर किसी स्त्रीकी जिन्दगी में या उसके मरनेके बाद सरकार आखिरी वारिसकी हैसियतसे जब उस जायदादकी वारिस होती है तो वह सीमावद्ध स्त्रीके सब अधिकारी कार्मो पर आपत्ति करसकती है मतलब यह है कि सरकारके वही सब अधिकार होते हैं जो रिवर्जनर के होते हैं, देखो --8 M. I. A.529.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy