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________________ रिवर्जनरोंके अधिकार दफा ६७२-६७४ ] जैनरके दावामें तमादी नहीं होती, देखो - [ – 32 Cal. 62; 9 C. W. N. 25; 4 Bom. L. R. 893; 12 C W. N. 857-859. ૮૨૫ रिवर्जनरके पश्चात् वाले रिवर्जनरको जिस दिन वैसा दावा करनेका अधिकार प्राप्तहो उस तारीख से ६ वर्ष तक उसे दावा कर देना चाहिये पीछे तमादी हो जायगी लिमीटेशन एक्ट 9 of 1908-120; 32 Cal. 473. अगर दूसरा रिवर्ज़नर उस समय नाबालिग्रहो जब उसे वैसा दावा करनेका अधिकार प्राप्त हुआ हैं तो वह नाबालिग रिवर्जनर क़ानून मियादकी दफा ६ का लाभ उठा सकता है यानी बालिग होनेकी तारीख से तीन वर्ष के अन्दर वैसा दावा दायर करसकता है यही बात पहिले वाले रिवर्जनरसे भी लागू होगी - 28 Mad. 57; 22 All 33; 32 Cal. 62. दफा ६७३ रिवर्ज़नर कब आपत्ति कर सकता है जब कोई विधवा या दूसरी सीमावद्ध स्त्री मालिक जायदाद की रक्षाका उचित प्रबन्ध न करे तो उसके बाद वाला रिवर्जनर, या अगर वह इसमें आपत्ति न करें या न कर सकता हो तो उसके भी बाद वाला रिर्ज़नर उन सब कामों पर आपत्ति करसकता है जो काम उसकी घरासतमें बाधक होतेद्दों, वह उसी तरहपर आपत्तिकर सकता है जैसे कि वह स्वयं उस जायदादका वारिस होने की सूरत में करता । जैसे पिछले मर्द मालिकके वसीयतनामे पर या उसके वारिसके किसी कामपर आपत्ति कर सकता है - वैकुंठनाथराय बनाम गिरीशचन्द्र मुकरजी 15 W. R. C. R. 96; यह माना गया है कि हिन्दू विधवा के मौत के बाद जो रिवर्ज़नर जायदादका हक़दार हो वह इस बातका दावा कर सकता है कि विधवा के पति की जायदादका उचित प्रबन्ध किया जाय--29 Cal. 260; 6 C. W. N. 267. दफा ६७४ रिवर्ज़नर के अधिकार ( १ ) सीमावद्ध मालिक के मरनेपर उस जायदादके पानेका अधिकारी सीमावद्ध मालिकका वारिस नहीं होगा बल्कि पिछले पूरे मर्द मालिकका वारिस होगा - वरासतका सारटीफिकट अदालतसे प्राप्त करनेके क्या नियम हैं इस विषय में देखो - अविनाशचन्द्रपाल बनाम प्रबोधचन्द्रपाल ( 1911 ) 15 C. W. N. 1018. अगर पहिला रिवर्जनर किसी कारण अपना हक़ छोड़दे तो उसके वादवाला रिवर्जनर जायदादका मालिक होगा--गोसांई टीकमजी बनाम पुरुषोत्तमलालजी 3 Agra 238. रिवर्ज़नर जब जायदादका मालिक हो जाता है तो वह सीमावद्ध पहिले मालिक के नियम विरुद्ध सब कामपर आपत्ति कर सकता है। सीमावद्ध मालिक 104
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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