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________________ ८०२ उत्तराधिकार [नवा प्रकरण जाल या धोखेसे अलहदा करली हो, देखो-3 N. W. P. H. C. 267; स्ट्रेञ्ज हिन्दूला पेज २३२. दफा ६५४ आयेग्यताका असर जब कोई वारिस अयोग्य मान लिया जाय तो मृतपुरुषका उस अयोग्य के बादवाला वारिस इस तरहपर वारिस होताहै कि मानो वह अयोग्य वारिस मरगया 1 B. L. R. A. C. 117; 11 W. R.A. 0. J. 19; 13 M. I. A. 519; 6 B. L. R. 509; 15 W. R. P. C. 1. अयोग्य वारिसका पुत्र वारिस हो सकता है परन्तु वह अपने पिताके पुत्र होनेकी हैसियतसे वारिस नहीं होता बल्कि मरने वालेका वारिस होने की हैसियतसे वारिस होता है, देखो--1 B.L. R. A. C. 117; 11 W. R. A. O. J. 19 का नोट। उदाहरण-अज, मरा और उसने अपनी बहनका पुत्र वारिस छोड़ा। मगर वह पुत्र अन्धा है और उसके एक पुत्र मुकुंद है तो मुकुन्द, अजका वारिस नहीं होगा ( ध्यान रहे कि बहनका पुत्र बन्धु होता है और बन्धुके न होनेपर दूसरे वारिस को जायदाद चली जाती है) दफा ६५५ अयोग्यता चली जानेपर अगर किसी पुरुष या स्त्रीको एकबार जायदाद मिलनेका हक़ पैदा हो गया हो तो पीछे होनेवाली किसी अयोग्यताके सबबसे वह जायदाद उसके क़ब्ज़ेसे नहीं हटाई जासकती, देखो-अवलख भगत बनाम भीखीमहदू 22 Cal. 864; त्रिवेनीसहाय बनाम मोहम्मद उमर 28 All. 547; 14 Mad. 289; 5 All. 509; 17 I. A. 173; 18 Cal. 111. जिस अयोग्यताके कारण वारिस जायदादसे बंचित रखा गया हो, और उस अयोग्य वारिसके बादका वारिस उस जायदादपर काबिज़ होगया हो और पीछे अयोग्य वारिसकी वह अयोग्यता जाती रहे तो एसी सूरतमें वह जायदाद पानेका अधिकारी नहीं होता, यानी उसके बादवाले वारिससे जायदाद नहीं छीनीजायगी; देखो-देवकिशन बनाम बुद्धिप्रकाश b All. 509. ऐसी सूरतमें यदि अयोग्य वारिसके कोई पुत्र उस समय पैदा हुआ हो जब कि उसके बादवाला वारिस जायदादपर काबिज़हो चुका हो तोभी जायदाद उस बाद वाले वारिससे नहीं छीनी जायगी, देखो--कालिदास बनाम कृष्णचन्द्रदास (1869) B. L. R. F. B. 108; 11 W. R. A O J. 11: 1 B. L. R. A. C. 137; 11 W. R. A. 0. J. 19 का नोट, 5 All. 5096 Bom. 616332 Bom. 455%3 10 B. L. R. 559.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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