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________________ दफा ६४२] कानूनी वारिस न होने पर उत्तराधिकार ८५ सब वारिसोंके अभावमें वेदत्रपीके ज्ञाता, शुद्ध, और इन्द्रियोंके दमन करने वाले ब्राह्मण जायदाद पानेके अधिकारी होते हैं। (४) नारद जी ने कहा है कि-- ब्राह्मणार्थस्य तनाशे दायादश्चेन कश्चन ब्राह्मणस्यैव दातव्य मेनस्वी स्यान्नृपोऽन्यथा । जब बिला वारिस ब्राह्मण मर जाय तो उसकी जायदाद ब्राह्मणही को राजा देवे। (५) बृहविष्णुने कहा है कि'तद्भावे सहाध्यायिगामि, तद्भावे ब्राह्मण धनवयं राजागामि' सकुल्यके न होनेपर सहपाठी, और उसके भी न होनेपर ब्राह्मणके धनको छोड़कर राजा जायदाद का वारिस होता है १७-१२ . (६) बौधायन ने कहा है कि-- "तद्भाव पिताचार्योऽन्तेवास्पृत्विग्वा हरेत्" १ सकुल्यके अभावमें आचार्य, पिता, शिष्यको जायदाद मिलेगी प्रश्न १ ७० ५-११७ (१) सबका मतलब यह है कि जहांपर मृतपुरुषके कोई-रिश्तेदार नहीं होते तो गुरू और उनके न होने पर चेला जायदाद लेता है गुरूसे मतलब है कि जो उस खानदानका हो जिसका मृतपुरुष था, और चेला उसी पाठशालाका होना चाहिये जिसका मृतपुरुष था। (२) जब कोई ब्यापारी आदमी ब्यापार करनेकी गरज़से दूसरे देश को गया हो और वहांपर मरजाय तथा उसके खानदानमें या अन्य कोई भी बारिस न हो तो उस ब्यापारी आदमीकी जायदाद उस आदमीको मिलेगी जो उसके ब्यापारमें शरीक रहा हो। देखो-गिरधारी बनाम बंगाल गवर्नमेंट 12 Moo I. A. 457, 465; S. C. I B. L. R. ( P.O.) 44; S. C. 10. Suth ( P. C. ) 32. (३) हिन्दू धर्मशास्त्रोमें कहागया है कि जब किसी पुरुषके कोई भी वारिस न हो तो ब्राह्मणकी जायदादको छोड़कर लावारिसकी जायदाद राजा लेवे । देखो मनु ने कहा है कि अहार्यं ब्राह्मणव्यं राज्ञा नित्यमिति स्थितिः इतरेषांतु वर्णानां सर्वाभावे हेरन्नृपः । ६-१८६ 99
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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