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________________ दफा ६४०-४१] बन्धुओंमें परासत मिलनेका क्रम ७८ राम बनाम मथुरादास 5 Bom.662.672. और बहनकी लड़की देखो-वेस्ट और बुहलर हिन्दुलॉ पेज 137, 496, 498. यह बन्धु होती हैं। (२) मधुओं में वारिस होनेका क्रम इनके करीबकी रिश्तेदारी के अनुसार होता है लेकिन मिताक्षरामें जो ६ बन्धुबताये गये हैं उनके पहिले वारिस होनेका हक नहीं खो जाता, अर्थाद जब तक मिताक्षराके बन्धुज़िन्दारहेंगे तब तक यह औरतें जायदाद नहीं पा सकतीं। (३) बापकी बहन--मयूखके अनुसार बापकी बहन मोज सपिण्ड है, और सब गोत्रज सपिण्डोंके पीछे और बन्धुओंके पहिले उसको वारिस होने का अधिकार होता है। यह बात साफ तौरसे तय नहीं मालूम होती कि बम्बई प्रान्तमें मिताक्षराका जैसा अर्थ लगाया जाता है उसके अनुसार बह गोत्रज सपिण्ड है या नहीं। बरारमें वरासतके मामले में पिताकी बहिनको, बमुकाबिले पिताकी बहिनके पुत्रके तरजीह दी जाती है--गनपत बनाम मु० सालू 89 I. C. 345. (४) ऊपर नम्बर १ में लड़की लड़की, और लड़कीकी लड़की, यह दोनों अपनी औलादकी लड़कियां हैं तथा माईकी लड़की, बहनकी लड़की 'मिन्न शाखाकी लड़कियां हैं। () पापकी बहन, एक पूर्वजकी लड़की है यानी दादाकी सड़की है। मिताक्षरामें जो बन्धु ठीक तौरसे बताये गये हैं वे सब मर्द हैं। औरत बन्धु नहीं बतायी गयी । बनारस और मिथिला स्कूल में मिनाक्षराका उतनाही अर्थ माना गया है जितना कि मिताक्षराके शब्दोसे साफ तौरपर ज़ाहिर होता है। बम्बई और मदरास प्रेसीडेन्सीमें कुछ औरतें भी बन्धु मानी मपी हैं। बम्बई में यह औरतें बन्धु मानी गयी हैं। (१) लड़के की लड़की (२) लड़कीकी लड़की पुतीकी पुत्री-बबई प्रकालीके अनुसार पुत्रीकी पुत्री मिन गोत्र सपिण्ड मानी जाती है। घुना जी बनाम तुलसी A. I. R. 1925 Nag. 98. (३) भाईकी लड़की (४) बमकी लड़की (५) वाफ्की .बहन नोट-यह निश्चित नहीं है कि बन्धु इतने ही औरतें होती है इस स्कूलमें औरतें पूरे अधिकार सहित जायदाद लेती हैं देखो दफा ६४४, ६४५, ६८२, ६८३२ ६८६. दफा ६४१ मदरासमें कौन कौन औरतें बन्धु मानी गयी हैं ? ... नीचे लिखी औरतें मदरास प्रांतमें बन्धु मानी गयी हैं--
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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