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________________ हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन [प्रथम प्रकरण आति जन्म से है, जातिका निश्चित करना-महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दरम् ऐय्यर 48Mad.1; तथा 1925 A.I. R Mad. 497 में यह माना गया है कि जाति जन्मका परिणाम हैन कि अपनी खशी या इच्छाका । यद्यपि कोई व्यक्ति जातिसे पतित हो सकता है किन्तु वह किसी कार्यके करनेसे ऊंची जातियों में नहीं जा सकता । केवल उन रसूमों की अदाई जो द्विजातीय करते हैं किसी शूद्रको अपने शूद्रत्वसे या चौथे वर्णसे द्विजाति में नहीं ली जाती । यद्यपि जहांपर किसी खानदानकी जातिमें सन्देह होता है और उसकी असलियतका पता नहीं लगता वहांपर उसकी जातिके विचारके लिये, उसके वैदिक या पौराणिक विधानोंका स्वभावतः (बिना किसी अभिप्रायके ) बहुत दिनों तक करते रहनेसे उसके जाति सम्बन्धी शहादत होती है। जातिकी जानकारी-जातिके सम्बन्धमें जानकारी, वर्णके सम्बन्धमें एक अच्छी जांच है। महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 13 A. I. R. 1925 Mad 497. घरबरी गोसांई--घरबरी गोसांई शूद्र जातिके अन्तर्गत एक विरादरी है। घरबरीका अर्थ गृहस्थ है और दोनों शब्दोंका शाब्दिक अर्थ 'गृहस्थ सन्यासी है' अर्थात् वे विवाहित सन्यासी हैं जिनमें, सन्यासियोंके कुछ रसूमों में और परिणामोंके कारण स्वाभावतः परिवर्तन हो गया है। हरिगिरि किशन गिरि गोसांई बनाम श्रानन्द भारती (1925) M. W. N. 414 ; 21 N. L. R. 127, 22 L. W. 355; 88 I.C. 343; A.I R. 1925 P C. 127(P,C.) ब्राह्मण बैरागी-यदि कोई ब्राह्मण वैरागी हो जाय, तो यह आवश्यक नहीं है कि उसकी जाति चली जाय। जसवन्त राव बनाम काशीनाथ राव, L. R. 6 All. 14; 86 I. C. 208; A. I. R. 1925 All, 253 (1) मोहल राजपूत हैं--राजपूत जातिकी एक उप-जातिका नाम मोहल है पञ्जाबमें और कोई जाति नहीं है जोकि मोहल नामका गोत्र रखती हो पञ्जाबमें और कोई मनुष्य नहीं हैं जिन्हें कि मोहल कहलाये जानेका ठीक अधिकार हो, सिवाय राजपूतोंके, और उन चन्द जाटोंके, जो सही या गलत तरीकेपर, अपनेको राजपूतोंका वंशज होनेका दावा करते हैं । मियां गुलाम रसूल बनाम सेक्रेटरी श्राफ स्टेट 6 Lah. 2693; 52 I. A. 201; 23 A.L. J. 639; 86 I.C. 654; 20 W. N. 646; 22 L. W. 299; 26 Punj L. R. 3903 800. W. N. 101, A. I. R. 1925 P. C. 170 ( P.0.) तऔरके राजा--तऔरके भूतपूर्व राजा शिवाजी शूद्र थे-महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1, A. I. R. 1925 Mad. 497. जातिकी जांच--शूद्र बावर्चियोंका पेशा, इस बातका प्रवल प्रमाण है कि वे द्विजाति नहीं हैं वक्ति शूद्र हैं। महाराजा कोल्हापुर बनाम एस सुन्द्रम् भय्यर 48 Mad. 1, A. I. R 1925 Mad. 497.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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