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________________ दफा ६३४-६३५] बन्धुओंमें वरासत मिलनेका फ्रेम पहिले ऐसा ख्याल किया जाता था कि मिताक्षरामें जो९ क्रिस्मके बन्धु बताये गये हैं सिर्फ इतनेही होते हैं। मगर अब उसका अर्थ ऐसा माना जाता है कि मिताक्षरामें जो बन्धु बताये गये हैं वह बन्धुओंकी तादादको खतम नहीं कर देते; यानी सिर्फ ६ ही बन्धु नहीं हैं । ६ से ज्यादा भी होते हैं । यह . ६ बन्धु जो मिताक्षरामें बताये गये हैं वह केवल उदाहरणकी तरहपर बतायें गये हैं। देखो दफा ५६७. दफा ६३५ बन्धुओंके क्रमके सिद्धान्त (१) मिताक्षरामें बताये हुए तीन किस्मके बन्धुओंमेंसे पहले आत्म बन्धु वारिस होंगे और उनके न होनेपर पितृबन्धु और उनके भी न होनेपर मातृबन्धु । देखो 19 Mad. 405; 33 I. A. 83; 28 Bom. 453.. (२) जब कभी मिताक्षरामें कहे हुए एकही दर्जे के कई एक बन्धु जीवित हों तो जिस बन्धुका नाम पहले लिया गया है वह पहले वारिस होगा देखो-33 Mad. 439. (३) मिताक्षरामें बताये हुए बन्धुओंके अलावा अदालतने जिन बन्धुओं को अधिक माना है उनके बीचमें यह सिद्धान्त लागू होगा कि बापके सम्बन्धसे जो बन्धु होते हैं वे माताके सम्बन्ध वाले बन्धुओंसे पहले जायदाद पावें । देखो 18 Mad. 193; 20 Mad. 342. (४) ऊपरके नियमोंको मानते हुए यह सिद्धान्त माना गया है कि नज़दीकी लाइन वाला बन्धु, दूरकी लाइन वाले बन्धुसे पहले वारिस होता है। देखो 20 Mad. 3423 29 Mad. 115. (५) ऊपरके नियमोंको मानते हुए जहांपर कि ऐसे दो बन्धु हों जो एकही पूर्व पुरुष द्वारा मृत पुरुषसे सम्बन्ध रखते हों वहांपर यह सिद्धान्त माना जायगा कि पासके दर्जेवाला बन्धु, दूरके दर्जे वाले बन्धुसे पहले वारिस . होगा। देखो-5 Bum. b97. (६) ऊपरके सब नियमोंको मानते हुए जहांगर एक ही पूर्व पुरुषक सम्बन्धसे एक ही दर्जेके दो या ज्यादा बन्धु हों वहांपर यह सिद्धान्त माना जायगा कि जिस बन्धुका सम्बन्ध मृतपुरुषसे एक स्त्रीके द्वारा है वह पहले वारिस होगा, बमुनाविले उस बन्धुके जिसका सम्बन्ध दो स्त्रियों या ज्यादासे है। देखो-30 Mad. 405; 33 Mad. 439. (७) यह सिद्धान्त माना गया है कि परिवारकी लड़कियोंके पत्र पहले वारिस होंगे उनके न होनेपर परिवारकी लड़कियोंके लड़कोंके लड़के वारिस होंगे और उनके भी न होनेपर परिवारकी लड़कियों की लड़कियों के पत्र वारिस होंगे । देखो दफा ६३८, ६३६. 96
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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