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________________ अर्थात् हिन्दू-लॉ हिन्दू धर्मशास्त्रका सर्वाङ्ग पूर्ण वर्तमान कानून श्रीखण्डभस्मार्चित चर्चिताङ्गौ मुक्ताऽलिगङ्गोल्लसदुत्तमाङ्गौ । शिवाशिवौनौमिसुमाल्यनागौ रत्नाग्निभाभूषित भालभागौ । जिनके शुभ अङ्ग चन्दन और भस्मसे पूजित हैं, जिनके मनोहर शिखर में मोतियोंकी अवलि और श्री गङ्गाजी विराजमान हैं, जिनके कण्ठमें सुन्दर मालाएं और भुजङ्ग शोभा दे रहे हैं तथा जिनका ललाटस्थल रत्न और वह्नि की शोभा से विभूषित है, ऐसी श्रीभगवती पार्वती और शिवको मैं नमस्कार करता हूं। हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन प्रथम-प्रकरण यह प्रकरण निम्नलिखित तीन भागों में विभक्त है । इस कानून को यथार्थ समझने के लिये इस प्रकरण को खूब ध्यानसे पढ़नेपर भी सिद्धांत सदैव स्मरण रखना चाहिये । यदि इस प्रकरण में बताए हुए सिद्धांत याद न रहेंगे तो कोई मामला निश्चित करने में आप भूल कर सकते हैं ।(१) हिन्दूलों की उत्पति दफा १-१० (२) हिन्दूला का विस्तार दफा ११-१३ (३) हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन दफा १४-३७ (१) हिन्दूला की उत्पत्ति दफा १ हिन्दूलॉ की उत्पत्ति और हिन्दू जाति "हिन्दू" अरबी भाषाके प्रयोगों में प्रायः 'स' की जगह पर 'ह' पाया जाता है जैसे शिरा--हिरा। सप्ताह--हफ्ता । सप्त--हफ्त । इसलिये मब
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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