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________________ दफा ६०७] सपिण्डोमें वरासत मिलनेका क्रम अपना हिस्सा बटालेवें, क्योंकि दो मिन्न लड़कियोंके लड़कों में मुश्तरका हिस्सेदारी नहीं हो सकती; देखो--27 Mad. 382, 385. ___उदाहरण-'महेशदत्त' अपनी लड़की उमाको छोड़कर मरगया। उमा के दो लड़के हैं जय और विजय । महेशदत्त के मरनेपर उसकी जायदाद उसकी लड़की उमाको मिली, उमाके मरनेपर वह जायदाद जय और विजयको बतौर माके वारिसके नहीं मिलेगी, बलि नानाके वारिसके मिलेगी। अब अमर जयं और विजय दोनों शामिल शरीक खानदानमें रहते हैं तो जो जायदाद उन्हें नानाकी मिलेगी वह भी मुश्तरका खानदानकी जायदादमें शामिल हो जायगी और उन दोनों मेंसे एकके मरनेपर दूसरेके पास सरवाइवरशिपके हाके अनुसार चली जायगी। ऐसा मानो कि अगर जय एक विधवा, छोड़ कर मरे तो वह जायदाद विधवाको नहीं मिलेगी, बलि विजयको मिलेगी जो उसका जीता हुआ मुश्तरकन् हिस्सेदार है। __ अगर जय और विजय के दरमियान बटवारा हो गया होता तो जायदाद दोनोंको आधी आधी मिलती उस वक्त सरवाइवरशिपका हक नहीं लागू पड़ता। नोट-(१) यह याद रखना कि जब जायदाद किसी मर्दके पास आती है तो पूरे अधिकारों सहित आती है। उसे रेहेन, वगैरा की सब अधिकार होता है। बबई प्रान्तमें कुछ औरतें ऐसी मानी गयी है जिन्हें जायदाद पूरे अधिकारों सहित प्राप्त होती है । देखो दफा ६४४, ६४५, ६८३. २) अगर नेवासा एक लड़का छोड़कर अपने नानासे पहिले मर जाय तो उस लड़केको जायदाद नहीं मिलेगी क्योंकि जब वाप वारिस नहीं हुआ तो उसके लड़के नहीं हो सकते । (३) दायभाग लॉ में आध्यात्मिक लाभ माना जाता है पुत्रीका पुत्र-उसका अधिकार नेपालदास मुखेर जी बनाम प्रवास चन्द्र मुकरजी 30 C. W. N. 357; A. I. R. 1926 Cal. 640. यह कानून बङ्गालमें माना जाताहै अन्यत्र नहीं माना जाता। दफा ६०७ माताकी वरासत (१) कब हक्क होता है ?-लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की और लड़कीके लड़केके न होनेपर माताको जायदाद मिलती है। याज्ञवल्क्य-पत्नी दुहितरश्चैव पितरौ भ्रातरस्तथा । २-१३५ अपत्र (जिसके लड़के, पोते, परपोते न हों ) पुरुषका धन उसकी विधवा, लड़की, और 'च' लड़कीके लड़केके न होनेपर पिताको मिलेगी। इस जगहपर 'पितरौ' पद है, इसकी व्याख्या मिताक्षराकार यों करते हैं तद्भावे पितरौ मातापितरौ धनभाजौ, यद्यपि युगपदधिकरणवचनतायां बन्दस्मरणात् तदपवादत्त्वादेक शेषस्य
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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