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________________ ... उत्तराधिकार [नवा प्रकरण www ... जब वापकी जायदाद एकही दर्जेकी कई एक लड़कियों को मिली हो तो उनमें से हर एक अपने उस लाभको जो लड़कीको जायदादमें सिर्फ उसकी जिन्दगी भर तकके लिये मिला है रेहन कर सकती है, बेंच सकती है. मगर शर्त यह है कि उस रेहन या बेचनेसे दूसरी लड़कियोंके सरवाइवरशिपके हकमें कोई बाधा न पड़ती हो देखो--23 Mad. 504. लड़कियां अपने बापसे पाई जायदादमें अपने अपने हिस्से में अलहदा अलहदा प्रबन्ध कर सकती हैं मगर शर्त यह है कि वह प्रबन्ध ऐसा होना चाहिये कि जिससे कि उसके बादके वारिस (भावी वारिस) के हक़ोंमें किसी तरहकी वाधा न पडे और कोई नुकसान न पैदा हो, देखो--कैलास बनाम काशी 24 Cal. 339. (५)बङ्गाल, बनारस, और मिथिला स्कूलमें -बङ्गाल, बनारस और मिथिला स्कूलके अनुसार जब किसी लड़कीको बापकी जायदाद उत्तराधिकारमें मिली हो तो उस जायदादमें लड़कीका महदूद हक्क रहता है; यानी वह जायदाद लड़कीकी जिन्दगी भरके लिये मिलती है और लड़कीके मरने के बाद वह जायदाद लड़कीके वारिसको नहीं मिलती, बल्लि उसके बापके दूसरेवारिसको मिलती है। देखो-छोटेलाल बनाम चुन्नूलाल 4 Cal. 744; 6 I. A. 15, मुटू बनाम डोरासिंह 3 Mad. 290; 81. A. 99. 'ऊपरके चारो स्कूलोंके अन्तगर्त अगर बापकी जायदाद किसी बिन व्याही लड़कीको मिलगयी हो,और उसके पश्चात् उस लड़कीका विवाह होगया हो तो भी लड़कीको उत्तराधिकारकी जायदादपर हीन हयाती (जिन्दगीभर') हक़ रहेगा और उसके मरनेपर जायदाद उसके बापके दूसरे वारिसको जायगी अगर लड़कीने मरनेके समय एक लड़का छोड़ा तो उस लड़केको जायदाद बहैसियत उसके नानाके वारिसके मिलेगी, लड़कीके वारिस के हैसियतसे नहीं। देखो मेन हिन्दूलॉकी दफा ६१३. (६) बम्बई स्कूलमें-बम्बई प्रान्तमें ऊपर कहे हुये पैरा ४, ५ के कायदे लड़कियों के लिये लागू नहीं पड़ते । बम्बई प्रान्तमें बापकी जायहाद जब कोई लड़की उत्तराधिकारमें पाती है तो उसे उस जायदादपर पूरे हक़ होते हैं। अनेक लड़कियोंके होनेपर हर एक लड़कीको बापकी जायदादमें उसके हिस्से के अनुसार पूरा हक़ होता है और वह उसे मानिन्द अपनी अलहदा जायदादके रखती है, और लड़कीके मरनेपर वह जायदाद ( वापसे वरासतन् पाई हुई) उसके बापके दूसरे वारिसको नहीं मिलेगी, बक्लि लड़कीके वारिसको मिलेगी जैसे उसका स्त्री धन होता है; देखो-भागीरथीबाई बनाम कन्नूजीराव 11 Bom. 285; गुलप्पा बनाम तैय्यब 31 Bom. 453; विथ्थापा बनाम सावित्री 34 Bom. 510.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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