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________________ ६२३ दफा ५८८ ] मदका उत्तराधिकार नामगोत्रतः समानोदक संज्ञा तु तावन्मांत्रापिनश्यति ॥ ब्राह्मे - सप्तोर्ध्वं त्रयः सोदकाः, ततोगोत्रजाः ॥ सब वर्णोंकी सपिण्डता सात पीढ़ी यानी सात पूर्व और सात पर पुरुष में समाप्त हो जाती है। पूर्व से बाप दादा आदि और परसे लड़का, पोता आदि अर्थ समझना चाहिये, बापसे लेकर ६ पूर्व पुरुष और लड़केसे लेकर ६ पर पुरुष और सातवां मालिक दोनोंमें शामिल होकर सात पुरुष होते हैं। इन्हीं सात पुरुषों तक सपिण्डता मानी जाती है, इसके बाद समानोदक संज्ञा है । समय के अधिक हो जाने के कारण जब सम्बन्ध सिलसिलेवार याद नहीं रहता तब समानोदक भी समाप्त हो जाता है । कहने का प्रयोजन यह है कि जब समानोदक भी नहीं रहा तब सिर्फ गोत्र बाक़ी रह जाता है । गोत्रसे यह जाना जाता. है कि किसी समय में एकही वंश शाखाके पूर्वजोंमें कोई विशेष पुरुष था जिसका सम्बन्ध एक दूसरे से चला आता है । बहुत दिन व्यतीत हो जानेके सबसे सिलसिला खानदानी याद नहीं रहाः सिर्फ खानदान एक है इस बात के ज़ाहिर करने के लिये 'गोत्र' केवल याद है । आचार्य कहते हैं कि सातवीं पीढ़ीके पश्चात् तीन पीढ़ी तक समानोदक संज्ञा रहती है । मगर इस वचनके विरुद्ध अनेक बचन हैं जिनसे यह अर्थ निकलता है कि समानोदकता सात पुरुषोंके बाद होती है और सात पीढ़ी तक होती है तथा इससे भी अधिक होती है । 'सपिण्डाऽभावे सपिण्डा स्तत्रापि सोदकाः प्राचतुर्दशात्' । दत्तक मीमांसा - सपिण्डके अभाव में असपिण्ड, और असपिण्डके अभाव में समानोदक होता है जो चौदह पीढ़ी तक रहता है । दूसरे पेजका नशा देखो - दफा ५८६. इस विषय में मनुजी कहते हैं: अनन्तरं सपिण्डाद्यस्तस्य तस्यधनं भवेत् अतऊर्ध्वं सकुल्यः स्यादाचार्यः शिष्य एवच ॥ १८॥ - मनुके कहने का तात्पर्य यह है कि भाईके बाद सपिंडों में जो सबसे नज़दीकका होगा उसे जायदाद मिलेगी सपिंडों के न होनेकी दशा में सकुल्यको तथा उसके भी न होने पर आचार्य और शिष्यको क्रमसे जायदाद मिलेगी । 'सकुल्य' यहांपर सपिंडों के वारिसोंके पश्चात् मनुने प्रयोग किया है जिसका मतलब समानोदकों से है क्योंकि मृत पुरुषसे सात दर्जे ऊपरके पूर्वजों और उनकी सन्तानों एवं नीचे की शाखाके सात वंशजों और उनकी सन्तानों के 87
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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