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________________ उत्तराधिकार [ नवां प्रकरण ( १ ) जब कोई आदमी अपनी मौतके समय मुश्तरका अर्थात् अविभाजित परिवारका मेम्बर हो तथा उसके क़ब्ज़ेमें मुश्तरका जायदाद हो तो उसका हिस्सा' सरवाइवरशिप' के हक़के साथ उसके मुश्तरका हिस्सेदारोंको मिलेगा । ६७८ ( २ ) जब कोई आदमी अपनी मौत के समय शामिल शरीक खानदानमें हो और अगर वह खुद कमाई हुई अलहदा जायदाद छोड़गया हो तो ऐसी जायदाद उसके वारिसको उत्तराधिकार के क्रमके अनुसार मिलेगी उसके मुश्तरका हिस्सेदरको नहीं मिलेगी । और जो जायदाद उसने मुश्तरका छोड़ी अर्थात् जिसपर वह मुश्तरका हक़ रखता था वह मुश्तरका हिस्सेदारको मिलेगी अलहदा कमाई हुई और उसे अलहदा मिली हुई जायदाद उसके वारिसको मिलेगी, देखो - पेरियासामी बनाम पेरियासामी 1 Mad 312; 5 I. A. 61. (३) जब कोई आदमी अपनी मौत के समय अपने दूसरे मुश्तरका हिस्सेदारों से अलहदा हो और जायदादपर अलहदा क़ब्ज़ा रखता हो तो उसकी तमाम जायदाद चाहे किसी तरहसे मी उसे प्राप्त हुई हो वह उत्तराधिकारके क्रमके अनुसार उसके वारिसको मिलेगी देखो - दुर्गाप्रसाद बनाम दुर्गा कुंवरि 4 Cal. 190, 202, 5 I. A. 149. (४) जबकोई आदमी अपनी मौतके समय मुश्तरका खानदानमें अकेला हो, यानी उसके दूसरे हिस्सेदार मर चुके हों, तो तमाम जायदाद यानी मुश्तरका जायदाद मिलाकर उसे मिल जायगी जो उसका वारिस होगा अर्थात् तमाम जायदाद उत्तराधिकारके क्रमसे उसके वारिसको मिलजायगी; देखो 6 M. I. A. 309. (५) जब कोई आदमी मुश्तरका खानदानसे अलहदा हो गयाहो और पीछे वह फिर उसी खानदानमें शामिल हो गया हो और मुश्तरकाकी दशामें मराहो तो उसकी जायदाद इस किताबके प्रकरण ६ के अनुसार उसके वारिस को मिलेगी । उदाहरण - राम और लक्ष्मण दोनों भाई मुश्तरका हिस्सेदार हैं। राम अपनी विधवा स्त्रीको छोड़कर मर गया और रामने अपनी खुद कमाई हुई जायदाद भी छोड़ी और थोड़ीसी जायदाद जो उसको उत्तराधिकारमें मिली थी जिसपर राम क़ानूनके अनुसार अलहदा मालिक था उसे भी छोड़ा । देखिये. मुश्तरका जायदाद का हिस्सा तो उसके भाई लक्ष्मणको मिलेगा जो रामका मुश्तरका हिस्सेदार है, लेकिन रामकी खुद कमाई हुई और उत्तराधिकारमें मिली हुई अलहदा जायदाद उसकी विधवाको बतौर वारिसके मिलेगी । दफा ५७५ कौनसी जायदाद उत्तराधिकार के योग्य हैं ? मिताक्षरालॉके अनुसार मर्द हिन्दूके मर जानेपर नीचे लिखी हुई जायदाद 'मृत पुरुष' के वारिसको उत्तराधिकारके अनुसार मिलेगी ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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