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________________ ६५६ बटवारा [ आठव प्रकरण दफा ५५४ न बट सकने वाली जायदाद के नियम जिस जायदादका बटवारा नहीं हो सकता, उसके उत्तराधिकारका नियम हिन्दूलॉ से अवश्यही भिन्न है परन्तु खान्दान का यदि कोई विशेष रवाज न हो तो उत्तराधिकारका क्रम हिन्दूलॉ के अनुसार होगा, देखो - 23 I. A. 128; 19 Mad. 451; 16 Mad. 11; 17 I. A. 123; 18 Cal. 151154; 9 M. I. A, 543; 2 W. R. P. C. 31. मिताक्षरा के अनुसार न बट सकने वाली मौरूसी जायदादका उत्तराधिकारी वही आदमी होगा जो कोपार्सनर होता यदि वह जायदाद बट सकती, देखो - योगेन्द्र भूपति हरी चन्दन महा पात्र राजा बनाम नित्यानन्द मानसिंह 17 I. A. 128-131; 18 Cal. 151; 31 Cal. 224. अलाहिदगी -- न बट सकने वाली जायदाद में यदि कोई कहे कि अमुक पुरुष अलाहिदा रहता था इस वजहसे वह अधिकारी नहीं है तो ऐसा सवाल ऐसी जायदादमें कभी पैदा ही नहीं हो सकता क्योंकि जायदाद एकही आदमी के पास रहेगी तो अलाहिदगी किसकी होगी। वहां ज्येष्ठ का प्रश्न या किसी रवाजका प्रश्न उठा करता है-- देखो, मशहूर केस-ललतेश्वर सिंह बनाम रमेश्वर सिंह (1909 ) 36 Cal. 481; 13 C. W. N. 838. ऐसी जायदाद का उत्तराधिकार हमेशा सरवाइवरशिप (दफा ५५८ ) के नियमानुसार होता है । न बट सकने वाली मौरूसी जायदाद जो मिताक्षरालों के प्रभुत्वमें हो उसका क़ाबिज़ मालिक मरजाय और कोई पुरुष सन्तान न छोड़े तथा मुश्तरका खान्दान हो तो उसकी भिन्न शाखाका पुरुष वारिस होगा, विधवा या पिछले मालिककी लड़कियां वारिस नहीं होंगी -- चिन्तामणि सिंह चौधरी बनाम नवलखो कुंवर 2 I. A. 263; 1 Cal. 153; 24 W. R. C. R. 255; 111 A. 149, 7 All. 1. ऐसी जायदाद के क़ाबिज़की जिन्दगीमें उसके वारिसका हक़ केवल "स्पेस् सक्सेशन्" ( Spes Successionis ) होता है अर्थात् केवल उत्तराधिकारी होने की आशा मात्र रहती है अधिक नहीं और उसके इस तरहके हक़का इन्तक़ाल नहीं होसकता है, देखो --ललितेश्वर सिंह बनाम रामेश्वर सिंह 36 Cal. 481. हक़ीयत नाकाबिल तकसीम -- ताल्लुकेदारी जायदाद भी है--ठाकुर जैइन्द्रबहादुरसिंह बनाम ठाकुर बच्चूसिंह 83 1. C. 382; A. I. R. 1924 Oudh. 218. अधिकार इन्तक़ाल -- वह रवाज, जिसके अनुसार इन्तक़ालके अधिकारकी अस्वीकृत हो, उदाहरणके सहित शहादत द्वारा सावितकी जानी चाहिये -- इन्तक़ालका उदाहरणका न होना शहादत है किन्तु कभी खिलाफ न हो, प्रतापचन्द्र देव बनाम जगदीशचन्द्र देव A. I. R. 1925 Cal. 116.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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